ठेल से लेकर टाल तक तराजू पर दिखता पाषाण युग
इलेक्ट्रोनिक कांटे के जमाने में ईंट पत्थर से हो रही तोल खरीदारों को रहता है घटतौली का अंदेशा विभाग मौन।
जागरण संवाददाता, फिरोजाबाद: पेड़ की पुरानी शाखाओं पर लटके लोहे की तराजू के दो पलड़े और ईंटों के बांट.। रहना रोड पर भूसे की एक टाल का यह नजारा आपको पुराने जमाने की याद दिला देगा। जब न इलेक्ट्रोनिक कांटे थे और लोहे के बांटों की प्रमाणिकता को लेकर कोई जागरूकता, लेकिन जिले में अब भी ठेलों और भूसे, चारे की टाल तक तराजू पर पाषाण युग नजर आता है। तोलने के लिए ईंट, पत्थर का उपयोग होता है। ग्राहकों को घटतौली का अंदेशा रहता है, लेकिन वे मजबूर हैं और बांटमाप विभाग मौन।
ग्राहकों के साथ घटतौली न हो इसके लिए तराजू, बांट और इलेक्ट्रानिक कांटे का हर साल सत्यापन कराने का नियम है। ये नियम राशन की दुकान और सरकारी गेहूं, धान क्रय केंद्रों पर भी लागू होता है। इसके बाद भी बाजारों से लेकर गली मुहल्लों में घूमने वाले फल और सब्जी के कई ठेलों पर ईंट, पत्थर के बांट दिखाई दे जाते हैं। इनका असली वजन क्या है ये केवल ठेल वाले ही जानते हैं। वे जितना बताएं उतना ग्राहकों को मानना पड़ता है, लेकिन बात ठेल तक ही सीमित नहीं है।
भूसा, चारे और लकड़ी की टाल पर भी लोहे के बांटों के साथ ईंटों और पत्थर के टुकड़ों से तोल की जाती है। रहना रोड पर तो भूसे की एक टाल पर कोई बांट ही नजर नहीं आया। वहां भूसा तोलने के लिए इंटर लाकिग टाइल्स रखे थे। यहीं स्थित टापा रोड, कोटला रोड, नगला विष्णु पर दिखी। जहां लोहे के बांटों के साथ पत्थर के टुकड़े भी रखे थे। ईंट, पत्थर से सामान तोल कर देना गैर कानूनी है। ऐसा करने पर पांच हजार रुपये तक के जुर्माने का प्राविधान है। चुनाव के बाद बोर्ड परीक्षाओं में व्यस्तता के चलते चार महीने से चेकिग नहीं हो पाई। अब अभियान चलाकर कार्रवाई करेंगे। राजेश कुमार सिंह, वरिष्ठ बांट माप निरीक्षक