बारिश में बर्बाद हो रहीं फसलें, किसानों को मुआवजे का इंतजार
आठ जनवरी को हुई ओलावृष्टि से नारखी क्षेत्र में हुआ था काफी नुकसान किसानों ने फसलों का आंकलन न करने का प्रशासन पर लगाया आरोप।

संवाद सहयोगी, टूंडला: नारखी क्षेत्र में आसमान से ओलों के रूप में बरसी आफत से किसानों की सैकड़ों बीघा फसल बर्बाद हो चुकी हैं। किसानों को इसका मुआवजा अब तक नहीं मिला है। वहीं रात के समय रुक-रुक कर होने वाली बारिश ने किसानों की चिता और बढ़ा दी है। किसानों ने प्रशासन पर नुकसान का आंकलन न कराने का आरोप भी लगाया है।
नारखी क्षेत्र में सबसे अधिक मिर्च व आलू की फसल होती है। नारखी की मिर्च देश के कोने-कोने में बिक्री को भेजी जाती है। ओलावृष्टि होने से मिर्च के साथ आलू की फसल को काफी नुकसान हुआ। जिन किसानों ने कर्ज लेकर फसल बोई थी। उनके सामने कर्ज चुकाने की सबसे बड़ी समस्या है। दो दिन से रात में होने वाली बारिश में बची फसलें भी बर्बाद हो रही हैं। पीड़ित किसानों को कहना है कि यदि इसी तरह बारिश होती रही तो बची फसलें भी बर्बाद हो जाएंगी। मुआवजे को लेकर हंगामा कर चुके हैं किसान
मुआवजे की मांग को लेकर लर्तुरा, खेमकरनपुर, गढ़ी दरगपुर, गुदाऊं, कूर्रीकूपा, रूपसपुर, नगला सहाय, सुजात गढ़ आदि गांव के ग्रामीणों ने हंगामा किया था। उनका आरोप था कि प्रशासन ने मुआवजा सूची में उनके गांवों को शामिल नहीं किया है।
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- हमारी 15 बीघा मिर्च, दस बीघा आलू, 25 बीघा गेहूं की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। सर्वे के लिए तहसील से कोई कर्मचारी नहीं आया।
- रामप्रताप शर्मा, राजपुर
- हमने 70 बीघा खेती में मिर्च और आलू की खेती की थी। ओलावृष्टि व बारिश से करीब 80 फीसद फसल बर्बाद हो गई है। अब तक मुआवजा नहीं मिला।
- रंजीत सिंह, गढ़ी हंसराम - तहसील क्षेत्र में बारिश व ओलावृष्टि से बर्बाद फसलों का आंकलन कराया गया है। इसमें 15 फीसद से ही कम ही फसलों का नुकसान हुआ है। ऐसे में किसानों को मुआवजा देना संभव नही है।
- डा. संतराज सिंह, तहसीलदार
Edited By Jagran