बारिश हुई कम, उसे भी नहीं संजो पा रहे हम
अनदेखी से हर साल नाली में बह जाता है लाखों लीटर पानी कोल्ड स्टोरेज और कारखानों में नहीं लग पाए रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम।
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: एक तो जिले में औसत से कम बारिश हो रही है, उसे भी हम सहेज नहीं पा रहे हैं। हर साल लाखों लीटर बारिश का जल नालियों में बह जाता है। सख्ती के बाद भी सभी कोल्ड स्टोरेज और कारखानों में अब तक रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम नहीं लग पाए हैं।
प्रशासन के आंकड़े बताते हैं कि जिले में पिछले दस साल से औसत से कम बारिश हो रही है। जिले में हर साल 655.50 मिली मीटर बारिश होने का मानक है, लेकिन दस सालों में बारिश का औसत 541.38 मिमी है। 2014 में तो औसत से आधी बारिश भी नहीं हुई। इसके बाद भी न तो प्रशासन गंभीर हुआ और न जनप्रतिनिधि। वर्षा जल संचयन के लिए बातें तो खूब हुईं, लेकिन जिले के कोल्ड स्टोरेज और कारखानों तक में रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम नहीं लग पाए।
पिछले साल उद्यान विभाग ने चेतावनी जारी की थी कि जो कोल्ड स्टोर स्वामी सिस्टम नहीं लगाएंगे, उनके लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं किया जाएगा। इसके बाद भी सिस्टम नहीं लगे, लेकिन लाइसेंस का नवीनीकरण हो गया। इसी तरह उद्योग विभाग भी कारखाना मालिकों को कई बार रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगवाने के निर्देश दे चुका है, लेकिन आधे कारखानों में भी वर्षा जल संजोने के प्रयास नहीं हुए हैं।
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- ये है जिले में बारिश की स्थिति
- 436.95 मिमी बारिश हुई 2011 में
- 512.32 मिमी बारिश हुई 2012 में
- 687.30 मिमी बारिश 2013 में
- 292.84 मिमी बारिश 2014 में
- 476.90 मिमी बारिश 2015 में
- 615.90 मिमी बारिश 2016 में
- 513.40 मिमी बारिश 2017 में
- 839.90 मिमी बारिश 2018 में
- 551.43 मिमी बारिश 2019 में
- 486.90 मिमी बारिश हुई 2020 में
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-इस तरह बनता है रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम
रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम में छत पर गिरने वाले बारिश के पानी को पाइप के जरिए जमीन के अंदर पहुंचाया जाता है। इसके लिए जमीन के अंदर बलूई मिट्टी आने तक बोरिग की जाती है। उसके ऊपर पत्थर के बड़े टुकड़े, फिर छोटे टुकड़े डालने के बाद आरसीसी के काम आने वाले गिट्टी की एक परत डाली जाती है। इसके बाद चंबल सेंड डालते हैं। बारिश का पानी इन सबसे छनने के बाद जमीन के अंदर पहुंचता है। विकास प्राधिकरण के एक्सइएन कप्तान सिंह ने बताया कि 300 वर्ग मीटर एरिया की इमारत पर एक सिस्टम लगाने का मानक है। इसे बनवाने में दो से ढाई लाख रुपये की लागत आती है।
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जिले में यहां-यहां लगे सिस्टम..
रेन वाटर हार्वेस्टिग के सिस्टम सरकारी भवनों, कांच कारखानों, कोल्ड स्टोरेज के अलावा निजी कालोनी में लगे हैं। हालांकि बारिश के पानी को सुरक्षित करने के लिए ये नाकाफी हैं।