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सुहागनगरी में जयकारों से टूटा सन्नाटा, मंदिर-मस्जिदों में खिलखिलाई आस्था

-ढाई महीने बाद खुले मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे श्रद्धालुओं ने दिखाया संयम -बिना प्रसाद और फूल के पहुंचे श्रद्धालु मस्जिदों में भी नहीं दिखी जमात

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Jun 2020 10:42 PM (IST)Updated: Tue, 09 Jun 2020 06:02 AM (IST)
सुहागनगरी में जयकारों से टूटा सन्नाटा, मंदिर-मस्जिदों में खिलखिलाई आस्था
सुहागनगरी में जयकारों से टूटा सन्नाटा, मंदिर-मस्जिदों में खिलखिलाई आस्था

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: 'देवों के देव महादेव के पवित्र दिन सोमवार को सुहागनगरी में नया सूरज निकला। आकाश में छाई सुबह की लालिमा ने आस्था के स्थलों पर छाए ढाई महीने के सन्नाटे को तोड़ डाला। मंदिरों के घंटे घड़ियाल, मस्जिदों की अजान और वाहे गुरू के शबद कीर्तन के साथ आस्था खिलखिला उठी। नए नियम और कायदे के बीच खाली हाथ पहुंचे भक्तों ने आराध्यों के दर्शन किए तो दिलो-दिमाग में छाया निराशा का अंधेरा दूर हो गया। आस्था के स्थलों पर श्रद्धालुओं की कतार लगी रही। जो अंदर पहुंचा व धन्य हुआ और जो नहीं पहुंच पाया, उसने बाहर से ही भगवान से कोरोना के संकट को दूर करने की प्रार्थनाएं कीं। मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे खुलने के साथ आध्यात्म का माहौल गुलजार हो गया।'

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25 मार्च को कोरोना के लॉकडाउन से पहले ही मंदिरों के पट बंद हो गए थे। एक जून को अनलॉक की घोषणा के साथ आस्था के स्थल खुलने की उम्मीदें बंधी थी और सब आठ जून का इंतजार कर रहे थे। ढाई महीने के लंबे इंतजार के बाद सोमवार की सुबह छह बजे से धार्मिक स्थलों पर भजन बजने लगे थे। रामलीला मैदान स्थित राजराजेश्वरी कैला देवी मंदिर पर सुबह सबसे पहले भीड़ जुटना शुरू हो गई, लेकिन हिदायतें दी जा रहीं थीं। सुबह की आरती में श्रद्धालु मंदिर के गेट के बाहर और कुछ अंदर पहुंचे। अंदर पहुंचने से पहले थर्मल स्कैनिग से गुजरना पड़ा। इसके बाद गोलों में खड़े श्रद्धालुओं को एक-एक करके मंदिर में प्रवेश दिया गया। न तो प्रसाद चढ़ाने की अनुमति थी और न ही फूल चढ़ाने की। दोपहर तक दर्शन का सिलसिला चलता रहा।

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वैष्णो देवी धाम में गुफा में नहीं मिला प्रवेश

मातारानी के आस्था के बड़े स्थल उसायनी वैष्णो धाम के दर्शन के लिए लोग कई दिनों से लालायित हो रहे थे। मंदिर पहुंचे तो सुरक्षा का मजबूत घेरा था। मंदिर में प्रवेश मिलने के बाद केवल मैया के दर्शन की अनुमति थी। जम्मू के कटड़ा वैष्णो धाम की तर्ज पर बनाई गई गुफा में प्रवेश पर पाबंदी लगी रही। पाबंदी के चलते महिलाएं यहां भी कम आईं। मंदिर के सेवक श्रद्धालुओं के हाथ सैनिटाइज करने को लेकर सतर्क नजर आए। मंदिर के घंटे पहले ही कपड़े से बांध दिए गए थे।

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मस्जिदों में नहीं सजी जमात, घर से वजू बनाकर पहुंचे नमाजी

धर्म स्थलों के खुलने के साथ शहर की मस्जिदों में रौनक नजर आई, मगर जमात नहीं सजी। नमाजी घर से ही वजू बनाकर पहुंचे थे। मस्जिद ए आयशा और जामा मस्जिद सहित अन्य प्रमुख मस्जिदों में नमाजियों ने एक दूसरे से दूर दूर खड़े होकर नमाज अदा की। नमाज में भीड़ नहीं जुट पाई।

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गुरुद्वारों में टेका मत्था हुआ गुरुवाणी का पाठ

शहर के आर्यनगर स्थित प्रमुख गुरुद्वारा में भी सोमवार को चहल-पहल रही। सुबह यहां गुरुवाणी का पाठ हुआ। हालांकि गुरुद्वारा में पहुंचने वालों की संख्या कम थी। इसके बाद सांई जगदीश का सत्संग हुआ।

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जैन मंदिरों में पुजारियों ने किया अभिषेक, सिर्फ दर्शन की अनुमति

जैन मंदिरों में सुबह से होने वाले पूजन और अभिषेक की छटा तो दिखी, लेकिन आम श्रद्धालुओं को सिर्फ जिनदर्शन की अनुमति ही थी। मंदिर में सिर्फ पांच-पांच करके लोग भेजे जा रहे थे। पुजारियों ने ही अभिषेक और पूजन किया। चंद्रप्रभ मंदिर में रस्सी बांधकर दर्शन की व्यवस्था थी। मंदिर में शास्त्र पाठन और बैठकर जाप्य देने की अनुमति नहीं थी। शहर के 46 मंदिर खुल गए और सभी में दर्शन को महिला और पुरुष पहुंचे। जैन समाज के चंद्र प्रकाश जैन, संजय जैन पीआरओ ने बताया कि जैन मंदिर सुबह छह से दोपहर एक बजे तक ही खुलेंगे। इसलिए श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे इसी अवधि में मंदिर आएं। अपील करने वालों में कुलदीप मित्तल जैन, वीरेंद्र जैन, निर्मल कुमार जैन, ललितेश जैन, सुशील जैन आदि शामिल हैं।

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50 साल के प्यारे लाल सोमवार की सुबह हाथ में धूपबत्ती और फूल लेकर राजराजेश्वरी कैलादेवी मंदिर पहुंचे गेट पर खड़े कर्मचारी ने अंदर नहीं आने दिया। कहा धूपबत्ती बाहर ही लगा दो और फूल भी अंदर नहीं जाएंगे। बाद में उन्हें थर्मल स्कैनिग करके अंदर इस हिदायत के साथ प्रवेश दिया कि गोलों में ही खड़े होना। भीड़ नहीं थी इसलिए प्यारेलाल मंदिर के अंदर पहुंच गए और मां के दर्शन किए। इस दौरान उन्हें न कोई चीज छूने दी गई, न जल और प्रसाद मिला, लेकिन ढाई महीने बाद मां के दर्शन कर मन को शांति मिली। बोले मैया इस कोरोनो से सबको मुक्ति दिलाओ।


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