चुल्हावली में हुई पारंपरिक हंटरमार होली
-गांव में वर्षों से चली आ रही है अनोखी होली दूर तक है मशहूर -पुरुषों के हंसी ठिठोली करते ही हंटर लेकर टूट पड़ती हैं महिलाएं
संवाद सहयोगी, टूंडला: नंदगांव और बरसाने की लट्ठ मार होली से तो हर कोई परिचित है, लेकिन चुल्हावली में होने वाले हंटर मार होली से कम लोग ही वाकिफ हैं। इस गांव में वर्षो से चली आ रही इस अनूठी परंपरा को देखने के लिए आसपास के ग्रामीण भी इकट्ठा होते हैं। पुरुषों के हंसी ठिठोली शुरू करते हुए महिलाएं उन पर हंटर लेकर टूट पड़ती हैं। उनकी मार खाकर भी कोई बुरा नहीं मानता, बल्कि उनका उत्साह और बढ़ जाता है।
तहसील क्षेत्र के गांव चुल्हावली में हंटरमार होली की प्रथा सालों पुरानी हैं। गांव की महिलाएं और पुरुष इसे जीवित रखे हुए हैं। गांव में दूज की शाम ये होली होती है। इस बार बुधवार को इसे मनाया गया। गांव की दर्जनों महिलाएं सज-धज कर चौपाल पर पहुंचती हैं। रंगों से सराबोर हुरियारे उनसे हंसी-ठिठोली शुरू कर देते हैं। इसके बाद महिलाएं हंटर से उनकी पिटाई शुरु कर देती हैं, लेकिन हुरियारे न वहां से भागते हैं और बचाव का कोई प्रयास करते हैं। बल्कि वह एक जगह खड़े होकर प्रेम के हंटर से मार खाते रहते हैं। इस दौरान आसपास मौजूद भीड़ उनका उत्साह बढ़ाती रहती है।
ग्रामीण फाग गाते हैं और रंगों की बौछार होती है। ये सिलसिला रात होने तक जारी रहता है। ग्रामीण बताते हैं कि कई वर्षो पुरानी परंपरा अब उनके गांव की पहचान बन चुकी है। महिलाएं कितना ही पीट लें, कोई बुरा नहीं मानता। सब हंसी खुशी इस त्यौहार को मनाते चले आ रहे हैं।
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घूमता रहता है हंटर
होली के दौरान हंटर घूमता रहता है। एक महिला कुछ देर हंटर चलाने के बाद दूसरी महिला को दे देती हैं। इसी तरह मार खाने वाले भी बदलते रहते हैं। इस अनोखी होली को खेलने के लिए ग्रामीण कई दिन पहले से तैयारी करते हैं।