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टिकट कटने से सपा के पूर्व विधायक के बागी सुर

बोले-पूर्व सांसद ने घर आकर किया था टिकट का वादा अब उनसे मुलाकात करवा दो जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष के लिए संदेशएक बार कराओ मुलाकात।

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 Jan 2022 05:16 AM (IST)Updated: Wed, 26 Jan 2022 05:16 AM (IST)
टिकट कटने से सपा के पूर्व विधायक के बागी सुर
टिकट कटने से सपा के पूर्व विधायक के बागी सुर

जागरण संवाददाता,फिरोजाबाद: जिले में अपनों के विरोध से जूझ रही समाजवादी पार्टी को एक नई मुसीबत आ गई है। सदर सीट से टिकट न मिलने पर पार्टी के पूर्व विधायक अजीम भाई के सुर बागी हो गए। वायरल वीडियो में वे कह रहे हैं कि पूर्व सांसद अक्षय यादव ने खुद घर आकर टिकट का वादा किया था। जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष के लिए कह रहे हैं कि पूर्व सांसद से एक बार उनकी मुलाकात करा दें।

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नगला बरी निवासी अजीम भाई ने फिरोजाबाद सीट से 2002 में सपा की टिकट पर विधायक बने। इसके बाद के हर विस चुनाव में हारते रहे। 2017 में हार के बाद उन्होंने बगावत की। सपा से निष्कासित होने पर वे प्रसपा में चले गए।

जनवरी 2021 में दस साल पुराने आंदोलन के दौरान आगजनी के मामले में अजीम को अदालत ने सजा सुनाई। दस माह तक जेल में रहने के बाद वे जमानत पर रिहा हुए। इसके बाद उनकी सपा में वापसी हो गई। वे इस बार पत्नी शाजिया हसन के लिए सदर सीट से टिकट मांग रहे थे और चार प्रमुख दावेदारों में शामिल थे।

सोमवार को सदर सीट पर सपा ने सैफुर्रहमान उर्फ छुट्टन भाई को प्रत्याशी घोषित किया। मंगलवार को अजीम भाई का वीडियो वायरल हुआ। वे कह रहे हैं कि पूर्व सांसद अक्षय यादव ने घर आकर टिकट का वादा किया था। उस वादे का क्या हुआ? अब उनकी मुलाकात पूर्व सांसद से करवा दो।

इस संबंध में 'जागरण' ने अजीम भाई से संपर्क किया तो उन्होंने टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया। पूर्व सांसद अक्षय यादव से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन काल रिसीव नहीं हुई। काबिलेगौर है कि जिले की सिरसागंज से बर्खास्त विधायक हरिओम व शिकोहाबाद के पूर्व विधायक ओम प्रकाश वर्मा पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं। पूर्व विधायक को इस तरह का वीडियो वायरल नहीं करना चाहिए। पूर्व सांसद शहर से बाहर हैं। उनके आने पर मुलाकात कराई जाएगी।

- रमेश चंद्र चंचल

सपा जिलाध्यक्ष

ननि के चुनाव में सपा के खिलाफ की थी तकरीर

अजीम भाई ने 2018 में हुए नगर निगम चुनाव मे सपा के खिलाफ और एआइएमआइएम प्रत्याशी के समर्थन में खुलकर तकरीर की थी। मेयर पद के बतौर प्रत्याशी वे 50 हजार से ज्यादा वोट पाकर दूसरा स्थान पर रहे थे। इसके बाद बगावत बढ़ती गई और वे शिवपाल खेमे में चले गए।


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