जसराना में गरजे किसान, तहसील में तालाबंदी
संवाद सहयोगी, जसराना: सरकार की नीतियों के विरोध में किसान आंदोलन तेज होता जा रहा है। बुधवार को भाकिय
संवाद सहयोगी, जसराना: सरकार की नीतियों के विरोध में किसान आंदोलन तेज होता जा रहा है। बुधवार को भाकियू के बैनर तले किसानों ने जसराना में हुंकार भरी। तहसील में तालाबंदी की। दो घंटे तक एसडीएम दफ्तर भी बंद रहा। ज्ञापन सौंप एलान किया कि अगर किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो 15 जून से किसानों द्वारा उत्पादित कोई भी खाद्य पदार्थ बाजार में नहीं आएगा।
किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान यूनियन के महासचिव विजेंद्र ¨सह टाइगर के साथ हजारों की संख्या में किसान तहसील पर पहुंचे। तहसील का घेराव करने के बाद किसानों ने तालाबंदी कर दी। एसडीएम दफ्तर पर भी दो घंटे तक ताला लटकाए रखा। किसान नेताओं ने भाजपा सरकार की नीतियों को गलत बताते हुए कहा कि किसान परेशान हैं। किसानों ने कहा कि अब किसान आंदोलन का मन बना चुका है। 100 से अधिक किसान संगठनों के साथ में भारत में गांव बंदी का एलान करते हुए कहा कि सरकार किसानों की मांगों पर जल्द से जल्द विचार करे। किसान आंदोलन में पहुंचे कांग्रेस प्रदेश महासचिव धर्म ¨सह यादव ने किसानों के लिए स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने की मांग की। साथ ही कहा कि किसानों के बीमा की किस्त काटने के साथ उन्हें बीमा कंपनी की जानकारी नहीं दी जाती है। कोई रसीद नहीं दी जाती है, जबकि किसान व्यक्तिगत फसल नुकसान का मुआवजा लेने के लिए भी अधिकार है। शिक्षा व स्वास्थ्य की तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
नौ सूत्रीय ज्ञापन में किसानों ने कहा कि सरकार की घोषणा के बाद भी किसानों की हालत बदतर है। महंगाई चरम सीमा पर है। आम किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं। सब्जियों की कोई कीमत तय न होने से फेंकनी पड़ रही है। दूध के उत्पादन बढ़ाने पर तो सरकार जोर दे रही है, लेकिन कीमत पर मनमानी हावी है। डीजल व पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी को किसान विरोधी बताते हुए कहा कि किसान आयोग का गठन किया जाए। गांवों में बिजली कटौती रोकी जाए। 60 साल पार कर चुके किसानों को पांच हजार रुपये पेंशन के साथ अन्य सुविधाएं दी जाएं। चेतावनी दी कि अगर 15 जून तक किसानों की मांग नहीं मानी गई, तो किसानों द्वारा उत्पादित कोई भी वस्तु और खाद्य पदार्थ बाजार में नहीं आने दिए जाएंगे। अध्यक्षता लोकपाल ¨सह और संचालन डॉ. गिरजेश बौद्ध ने किया।
आंदोलन में इनका सहयोग :
प्रदेश महासचिव सम्राट विजेंद्र ¨सह टाइगर, जिला उपाध्यक्ष शिवओम तिवारी, तहसील सहसंयोजक राजपाल ¨सह, भूपाल ¨सह, सुभाषचंद्र, सूरजपाल ¨सह, रामभरोसे, गांगा¨सह, बटेश्वरी लाल, पूरन ¨सह, वेदप्रकाश, बृजेश ऋषिपाल, भगवान ¨सह, जाहर ¨सह ¨टकू आदि किसान नेताओं के साथ करीब दो हजार किसान मौजूद रहे।
कामकाज रहा प्रभावित, लौटे फरियादी
किसान आंदोलन के चलते तहसील में कामकाज भी प्रभावित रहा। दोपहर 12 बजे से दो बजे तक कोई काम नहीं हो सका। गांव देहात से आने वाले लोग भी आंदोलन व दफ्तरों में तालों को देख कर वापस लौट गए।