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पर्यावरण मंत्रालय में बैठक की तैयारी तेज

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : पर्यावरण मंत्रालय की बहुप्रतीक्षित बैठक की तारीख तय हो गई है

By JagranEdited By: Published: Thu, 07 Dec 2017 05:40 PM (IST)Updated: Thu, 07 Dec 2017 05:40 PM (IST)
पर्यावरण मंत्रालय में बैठक की तैयारी तेज
पर्यावरण मंत्रालय में बैठक की तैयारी तेज

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : पर्यावरण मंत्रालय की बहुप्रतीक्षित बैठक की तारीख तय हो गई है। बुधवार देर शाम मंत्रालय से आए पत्र में 18 दिसंबर को बैठक में सभी विभागों को बुलाया है। दो वर्ष से गैस का इंतजार कर रही इकाइयों का मुद्दा इस बार यहां प्रमुखता से उठेगा, क्योंकि टीटीजेड ने इनका गैस कोटा बढ़ाने पर सहमति देने का फैसला लेते हुए गेंद मंत्रालय के पाले में डाली है। ऐसे में कांच उद्योग की नजर भी इस बैठक पर जमी हुई है।

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टीटीजेड क्षेत्र पर पर्यावरण मंत्रालय की सीधी नजर है। पिछले साल मंत्रालय ने एक जांच कमेटी को भेजकर जांच कराई थी। वहीं कांच नगरी में संचालित इकाइयों का 1996 से लेकर अब तक का अपडेट ब्यौरा भी तलब किया था। बताते चलें, सरकार बनने के बाद में ही फीरोजाबाद के उद्यमियों ने मंत्रालय में सीधे पैरवी करते हुए टीटीजेड में गैस कोटा बढ़ाने पर लगी रोक हटाने की मांग की थी। इसके बाद में मंत्रालय ने जिला उद्योग केंद्र से कई सूचनाएं मांगी। इसको लेकर उद्योग विभाग में कई दिनों तक गहमा-गहमी भी रही थी। वहीं पिछले दिनों उद्यमियों को एक सफलता हाथ लगी है। जनवरी 2015 में टीटीजेड में नई इकाई एवं गैस कोटा बढ़ाने पर रोक लगाने का फैसला करने वाली अथॉरिटी ने अब गैस कोटा बढ़ाने पर सहमति देने का मन बना लिया है। ऐसे में अब अंतिम फैसला मंत्रालय के हाथ में है। ऐसे में इस बैठक को लेकर कांच उद्योग खासा उत्साहित है। 18 दिसंबर को दोपहर तीन बजे से दिल्ली में होने वाली बैठक की तैयारियों में अधिकारी भी जुट गए हैं। नीरी की जांच रिपोर्ट के साथ में अन्य जांच रिपोर्ट के आधार पर उद्योग को बंदिशों से निजात दिलाने की तैयारी की जा रही है।

शिकायतकर्ताओं की नई चाल का डर :

हालांकि कांच उद्योग शिकायतकर्ताओं को लेकर आशंकित भी है। वजह साफ है मंत्रालय ने रोक के आदेश शिकायतों के बाद दिए थे। उद्यमियों की मानें तो बड़े कांच समूहों ने संस्थाओं की आड़ में फीरोजाबाद कांच उद्योग के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। सिर्फ पर्यावरण मंत्रालय ही नहीं, वाणिज्य मंत्रालय तक में शिकायतें कराई गई थी। एनजीटी में भी मामला चल रहा है। आशंका है कहीं यह फिर से कोई नई चाल चल कर गैस कोटा बढ़ाने में नया पेंच न फंसा दें। हालांकि इसके लिए भी उद्यमी रणनीति बना रहे हैं, ताकि इस बार कोई चाल कामयाब न होने पाए।


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