सिर्फ दो घंटे खुलता है ओपीडी पर्चे का काउंटर
जागरण संवाददाता फीरोजाबाद मेडिकल कालेज में ओपीडी का पर्चा बनाने का काउंटर सिर्फ दो घंटे खुलता है।
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: मंगलवार सुबह 11 बजे शहर के दुर्गेश नगर निवासी मुहम्मद शाकिर घुटने में दर्द का इलाज कराने मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आए थे। ओपीडी पर्चा बनाने का काउंटर बंद हो चुका था। बताया गया कि काउंटर सिर्फ दो घंटे के लिए खुलता है। इसके बाद वे निराश होकर वापस लौट गए।
गरीबों के लिए इलाज का ठिकाना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में इलाज कोरोना के अनलॉक के बाद अब भी पटरी पर नहीं लौट पाया। पहले सुबह आठ बजे से दो बजे तक ओपीडी चलती थी। इसके लिए दोपहर डेढ़ बजे तक पर्चे बनते थे। लॉक डाउन से पहले अस्पताल की ओपीडी में रोजाना डेढ़ से दो हजार के बीच रोगी आते थे। लेकिन कोरोना काल में ओपीडी बंद करा दी गई और रोगियों के इलाज की व्यवस्था सरकारी ट्रॉमा सेंटर पर कराने के साथ ही टेलीमेडिसिन सेवा की शुरुआत की गई। अनलॉक का दौर शुरू होने के बाद 35 नंबर बिल्डिग के कमरों में फिजीशियन, सर्जन और आर्थाेपेडिक सर्जन की ओपीडी शुरू करा दी गई है। अब हाल यह है कि अनलॉक टू के बाद भी सुबह आठ से दस बजे तक ही पर्चे बन जाते हैं। इसके बाद पर्चे की खिड़की बंद हो जाती है और दस बजे के बाद आने वाले मरीजों को इलाज नहीं मिल पाता। उन्हें अगले दिन आने की कहकर वापस लौटा दिया जाता है। -नहीं खुला त्वचा रोग विभाग..
मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में त्वचा रोग विभाग में रोज दो से ढ़ाई से मरीज आते थे। कई बार यहां लाइन को नियंत्रित रखने के लिए पुलिस भी बुलानी पड़ती थी। हालत यह है कि कोरोना काल के बाद अब तक त्वचा रोग विभाग अब तक नहीं खुला है। यहां सिर्फ टेलीमेडिसिन के जरिए इलाज हो रहा है। - लोकप्रिय नहीं हो पाई टेलीमेडिसिन सेवा
रोगियों को मोबाइल पर ही डॉक्टरों का परामर्श उपलब्ध कराने के लिए दो माह पहले टेलीमेडिसिन सेवा की शुरुआत की गई थी। लेकिन यह अधिक लोकप्रिय नहीं हो पाई। टेली मेडिसिन के जरिए इलाज करवाने वालों का आंकड़ा कभी सौ के पार नहीं हो पाया।
अब प्राइवेट क्लीनिक पर बढ़ने लगी भीड़.
सरकारी इलाज की व्यवस्था सुचारु न हो पाने के कारण अब प्राइवेट क्लीनिक की ओर मरीज रुख कर रहे हैं। कोरोना की सतर्कता के चलते यहां भी घंटों तक नंबर का इंतजार करना पड़ रहा है। प्राइवेट डॉक्टर्स बताते हैं कि क्लीनिक पर कोरोना के पहले की तरह मरीज आने लगे हैं। वर्जन---
प्रयास है रोगियों को इलाज भी मिल जाए और अस्पताल में शारीरिक दूरी रखने का पालन भी हो जाए। सुबह दो घंटे तक पर्चा बनाया जाता है। इसके बाद यदि कोई गंभीर रोगी आता है तो उसका पर्चा बनवाकर इलाज कराया जाता है।
डॉ. आलोक कुमार, कार्यवाहक सीएमएस