कैसे मिलेगी खारे पानी से मुक्ति
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: जिले में खारे पानी की बड़ी समस्या है। तकरीबन 80 गांव व मजरे ऐसे हैं, जहा
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: जिले में खारे पानी की बड़ी समस्या है। तकरीबन 80 गांव व मजरे ऐसे हैं, जहां का पानी खारा है। यहां की जनता को मीठे पानी के लिए दूर तक दौड़ लगानी पड़ती है। यहां के लोग सुबह से लेकर देर शाम तक पानी की जुगाड़ में जुटे रहते हैं, तब जाकर कंठ तर हो पा रहे हैं। शहर में भी पीने के पानी का संकट है। इसकी वजह सतही जल नीचे गिरना है। नलकूप दम तोड़ रहे हैं और सबमर्सिबल पंप भी एक साल के अंदर ही पानी छोड़ रहे हैं। ऐसे में शहरी जनता की आस निर्माणाधीन गंगाजल परियोजना पर टिकी हुई हैं। विभागीय दावा तो जून तक हर हाल में गंगाजल उपलब्ध कराना है, लेकिन इसमें अभी कुछ और समय लग सकता है।
खारे पानी की बात करें तो जिले में नारखी, टूंडला, फीरोजाबाद, शिकोहाबाद व सिरसागंज क्षेत्र में पेयजल संकट है। यहां का पानी खारा है। सर्वाधिक नारखी ब्लॉक के 46 गांव व मजरे ऐसे हैं, जहां का पानी खारा है। कुछ गांव व मजरों की जनता की प्यास बुझाने के लिए पानी की टंकियां स्थापित की हैं, लेकिन इनके खराब होने पर भी लोगों को पानी के लिए दौड़ना पड़ता है। इसके अलावा अभी भी एक दर्जन मजरे ऐसे हैं, जहां गांव के अंदर पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। यहां के लोगों को करीब दो से तीन किलोमीटर दूर के गांव से पीने का पानी लाना पड़ता है। महिलाएं, पुरुष व बच्चे दिनभर पानी को लाने में लगे रहते हैं। इसी तरह अन्य ब्लॉक क्षेत्र के जिन गांवों में खारा पानी है, वहां की जनता भी परेशान है।
सुहागनगरी में भी पीने के पानी को लेकर त्राहि-त्राहि मची हुई है। सर्द मौसम में तो काम चल जाता है, लेकिन गर्मियों में मारामारी मचती है। यहां सतही जल से प्यास बुझाने की व्यवस्था है, लेकिन भू-जल स्तर 300 फीट नीचे खिसकने की वजह से पेयजल संकट बना हुआ है। तकरीबन एक दर्जन मुहल्ले ऐसे हैं, जहां की जनता को टैंकरों से पानी सप्लाई किया जाता है। बिजली संकट होने पर यह समस्या और भी गहरा जाती है। शहरी जनता की प्यास बुझाने का एकमात्र विकल्प गंगाजल परियोजना है। करीब 432.83 करोड़ रुपये की इस परियोजना का काम तेजी पर है। विभागीय दावा जून तक हर हाल में गंगाजल उपलब्ध कराना है, लेकिन इसमें और ज्यादा समय लग सकता है।
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अधिकारी बोले जल्द मिलेगी राहत
जल निगम के एक्सईएन राकेश कुमार के अनुसार कुल 80 फीसद काम पूर्ण हो चुका है और जून तक हर हाल में गंगाजल उपलब्ध कराया जाएगा। जेड़ा झाल नहर में पानी भी अप्रैल में छोड़ने का आश्वासन दिया गया है। वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कार्य लगभग पूर्ण हो गया है, अप्रैल से पंप मशीन स्थापित करने का कार्य शुरू हो जाएगा। पाइप लाइन की बात करें तो नंदपुर से प्लांट तक काम पूर्ण हो चुका है। ओवरहेड व अवर जलाशय तक पाइप लाइन डाली जा चुकी हैं। सैलई व नगला बरी पर ज्वाइंट, घंटाघर से चंद्रवार गेट तक पाइप लाइन डालने का कार्य अप्रैल में पूर्ण हो जाएगा। 15 में से 13 ओवरहेड टैंक लगभग पूर्ण हो चुके हैं, केवल दो सैलई और मायापुरी टापाकलां का कार्य चल रहा है। 22 अवर जलाशयों में से 16 का काम पूर्ण हो गया है। पुरानी तहसील गढ़ैया में जगह न मिलने के कारण काम शुरू नहीं हो सका है। वहीं नंदपुर पर प्रस्तावित झील का कार्य 40 फीसद पूर्ण हो चुका है। एक्सईएन ने बताया जहां ओवरहेड टैंक व अवर जलाशय नहीं बन सके हैं, वहां निगम के पुराने संसाधनों के जरिए पानी उपलब्ध कराया जाएगा।
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इन गांवों में खारा पानी:
जिन गांवों में खारे पानी की समस्या है उनमें नारखी ब्लॉक के नारखी धौकल, नारखी ताल्लुका, गढ़ी अफोह, गढ़ी हंसराम, गढ़ी लौकी, कायथा, मिलिक, रिजावली, बाघई, जवाहरपुर, पहाड़पुर, एहरई, रामगढ़, गोथुआ, सिकंदरपुर, बालगढ़ी, उम्मरगढ़, तजापुर, बेरनी सनौरा, गोथुआ आदि गांव शामिल हैं।
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यह कहते डॉक्टर:
चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. आरए सुधाकर का कहना है कि खारे पानी से खुजली, फोड़े फंसी एवं बाल खराब होने की समस्या होती है। फ्लोराइड आने से जल्दी बुढ़ापा आने लगता है। पेट संबंधी भी तमाम बीमारियां हो जाती हैं।