चुनावी शोर में दब गई सात संदिग्ध शिक्षकों पर कार्रवाई
पिछले दो माह में सुनवाई नहीं होने के कारण अधर में लटकी कार्रवाई फर्जी शैक्षिक दस्तावेज प्रमाण पत्रों से नौकरी हासिल करने का है आरोप।
संवाद सहयोगी, फीरोजाबाद: बीएड की फर्जी डिग्री और प्रमाण पत्रों से जिले में नौकरी करने के आरोप में घिरे सात संदिग्ध शिक्षकों को चुनावी शोर में अभयदान मिल रहा है। पहले टूंडला विधान सभा उपचुनाव और अब आगरा खंड विधान परिषद चुनाव के कारण पिछले दो माह में सुनवाई नहीं होने के कारण कार्रवाई नहीं हो सकी है।
वर्ष 2004-05 में डा. भीमराव आंबेडकर विवि से फर्जी डिग्री के सहारे नौकरी पाने का खेल हुआ था। जिले में भी 163 शिक्षक पाए गए थे। 84 बर्खास्त हो चुके हैं। बाकी का मामला न्यायालय में चल रहा है। इनके अलावा सीडीओ नेहा जैन की अध्यक्षता में गठित जिला कमेटी ने जांच शुरू की तो परत-दर-परतें खुलने लगीं। अब तक 13 फर्जी शिक्षक बर्खास्त हो चुके हैं। इनके अलावा सितंबर तक जिला कमेटी से सात संदिग्ध शिक्षकों की शिकायत हुई। बीएसए ने सभी को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया था, लेकिन कोई भी उपस्थित नहीं हुआ था।
इसके बाद टूंडला विधान सभा के उपचुनाव की घोषणा हो गई। कमेटी में शामिल अधिकारी चुनाव में व्यस्त हो गए। तीन नवंबर को मतदान और दस नवंबर को मतगणना होने के बाद आगरा खंड विधान परिषद के चुनाव की घोषणा हो गई। अब फिर से अधिकारी चुनाव संपन्न कराने में जुटे हैं। बीएसए डा. अरविंद पाठक ने बताया कि सात शिक्षक संदिग्ध हैं। इनके बारे में फर्जी दस्तावेज और जाति प्रमाण से नौकरी हासिल करने की शिकायतें आई हैं। इनके मामलों को लेकर जल्द ही सुनवाई की जाएगी और कार्रवाई की जाएगी।
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बर्खास्तगी के बाद रिकवरी भूल गया विभाग
बर्खास्तगी की कार्रवाई के बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने वेतन की रिकवरी जल्द करने का दावा किया था। हालात यह है कि दो-दो जिलों में नौकरी करने के आरोप में बर्खास्त प्रावि सुजावलपुर की प्रधानाध्यापिका हेमलता और कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय एका की संध्या द्विवेदी का अब तक पता भी नहीं लग सका है। इसी तरह चार साल से फर्जी दस्तावेजों पर नौकरी करते पकड़े जाने के बाद बर्खास्त अंशकालिक अनुदेशक मैनपुरी के गांव धीप निवासी रोहित कुमार से रिकवरी नहीं हुई है। जबकि कार्रवाई हुए तीन माह हो चुके हैं।