बिना उपकरण का ट्रामा सेंटर, टूट रही रोगियों की आस
जागरण संवाददाता, फतेहपुर: दुर्घटना में घायलों को बचाने के लिए बना ट्रामा सेंटर अपने उद्देश्
जागरण संवाददाता, फतेहपुर: दुर्घटना में घायलों को बचाने के लिए बना ट्रामा सेंटर अपने उद्देश्य को पूरा नहीं कर रहा। घायल मरीज पहुंचने पर यहां सिर्फ मरहम पट्टी की जाती है, मरीज अगर थोड़ा भी गंभीर है तो ड्यूटी डॉक्टर उसे कानपुर के लिए रेफर कर देते हैं। इसका सबसे कारण यह है कि यहां पर ट्रामा सेंटर के लिए अनुमन्य उपकरण ही नहीं है, शासन और जिला स्वास्थ्य समिति से जो उपकरण आने हैं उनका तो इंतजार हो रहा है। जो जिला समिति द्वारा खरीदे जाने थे आज तक उनकी खरीद भी नहीं की गयी है। जिससे यहां पहुंचने वाले मरीजों का उपचार ठीक ढंग से नहीं हो पाता।
जिला स्वास्थ्य समिति ने ट्रामा सेंटर के उपकरण जिले स्तर पर खरीदने के लिए वर्ष 2017 में अनुमति दे दी थी। तय हुआ था कि चार लाख तक के उपकरण राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) से खरीदे जाएं। लेकिन जिला समिति उपकरणों की खरीद नहीं की। हाईवे में बस-ट्रक हादसा हुआ और 42 घायल अचानक जिला अस्तपाल के ट्रामा सेंटर पहुंचे तो स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खुल सामने आ गयी। छोटे-छोटे उपकरणों के अभाव में घायलों का उपचार नहीं हो पाया और उन्हें मल्हम पट्टी करके कानपुर रेफर कर दिया गया। सेहत अफसरों की यह अनदेखी मरीजों पर भारी पड़ गयी। अगर अब भी जिला स्तर पर खरीदे जाने वाले उपकरण खरीद लिए जाए तो निश्चित तौर पर मरीजों को यहां पर बेहतर उपचार मिलने लगे और 1.98 करोड़ का खर्च से बनी इमारत का उपयोग साबित हो सके।
ट्रामा के यह उपकरण जो जिले स्तर पर नहीं खरीदे
उपकरण का नाम तादात
सक्सन मशीन चार
आइसीयू बेड पांच
पावर ड्रिल एक
शेय¨रग पंप एक
आर्थोपेडिक इंस्ट्रूमेंट दो सेट
सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट दो सेट
इलेक्ट्रिकसिटी बैकअप एक सेट
वातावरण कंट्रोल मीटर एक
काउट्री मशीन दो
जनरल बेड पांच
ईसीजी मशीन एक क्या कहते है जिम्मेदार..
ट्रामा सेंटर के अनेक जीवन रक्षक उपकरण लखनऊ से आने हैं लेकिन करीब एक दर्जन छोटे उपकरण जिला स्तर पर खरीदे जाने हैं। अब तक यह उपकरण नहीं खरीदे गए। यह जरूर है कि इनके खरीदने की अनुमति है। हमने इनकी आपूर्ति के लिए कई संस्थाओं से कोटेशन मांगा है और अब हम इन उपकरणों की खरीद करेंगे। -डॉ. प्रभाकर सीएमएस जिला अस्पताल