जिस मंदिर में शिक्षा ली, शिक्षक बनकर उसे संवारा
संवाद सूत्र किशुनपुर शिष्य के जीवन से जुड़ी प्रत्येक खामी को दूर करके उसे अच्छा नागरिक
संवाद सूत्र, किशुनपुर : शिष्य के जीवन से जुड़ी प्रत्येक खामी को दूर करके उसे अच्छा नागरिक बनाने में शिक्षक की भूमिका का कोई जोड़ नहीं है। कई उदाहरण ऐसे हैं, जिसमें शिष्यों ने गुरु-दक्षिणा के लिए भी मिसाल प्रस्तुत की। विजयीपुर ब्लाक के अर्जुनपुर गढ़ा का परिषदीय विद्यालय में गुरु और शिष्य के रिश्तों की परंपरा को निभाने का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है। बीते साल राज्य पुरस्कार सूची में नाम दर्ज कराया है। शनिवार को आर्दश शिक्षक को विकास भवन के सभागार में कारागार राज्यमंत्री जय कुमार सिंह जैकी और डीएम अपूर्वा दुबे सम्मानित करेंगीं।
अवधूतपुर गढ़ा गांव के रहने वाले देवव्रत त्रिपाठी ने 70 के दशक में इसी प्राथमिक विद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। उच्च शिक्षा दूसरे स्कूलों से प्राप्त करने के बाद उन्हें शिक्षा विभाग में सेवाएं देने का अवसर मिला। वर्ष 1982 में देवव्रत त्रिपाठी ने शिक्षक के रूप में अर्जुनपुर गढ़ा प्राथमिक विद्यालय में कदम रखा। दशकों पहले जब वह इसी विद्यालय में छात्र के रूप में आते थे, तमाम समस्याएं रहती थीं। मजबूत इमारत, शुद्ध पेयजल, साफ-सुथरा मैदान, हरे-भरे पौधे, बैठने के लिए बिछौना (टाट-पट्टी) आदि की व्यवस्था करने के साथ ही उन्होंने नई बिल्डिंग का निर्माण कराया। बच्चों के लिए शुद्ध पेयजल की उपलब्धता के लिए परिसर में हैंडपंप बोर कराने के साथ ही सबमर्सिबल पंप से टंकी भरने की व्यवस्था की गई। शासन को पत्राचार करके विद्यालय परिसर में डाइनिग टेबल बनवाया गया, जिसमें सभी बच्चे एक साथ बैठकर मध्याह्न भोजन कर सके। विद्यालय परिसर में सैकड़ों की संख्या में फल व छायादार पौधे लगाए गए। पेड़-पौधों की हरियाली यहां आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करती है। शिक्षक के बाद विद्यालय के प्रधानाध्यापक के रूप में सेवाओं का निर्वाहन कर रहे देवव्रत त्रिपाठी ने बताया कि वर्षा जल संचयन का माडल भी विद्यालय को बनाया जाएगा। परिसर में ही 50 फिट गहरा गड्ढा खुदाई कराने के बाद समस्त इमारत से एकत्र होने वाले वर्षा जल को उसी गड्ढे के माध्यम से पुन: भूगर्भ में भेजने की योजना पर जल्द ही काम शुरू होगा।