कोरोना से जीती जंग, अब दूसरों में भर रहे आत्मबल
गंगा यमुनी विरासत की सोंधी मिट्टी में पले बढ़े आचार्य रामनारायण का सेवाभाव देखकर हर कोई आश्चर्य में पड़ जाता है। तेज धूप में पानी की ठंडी बोतल और बिस्किट सहित साइकिल में लाद कर कोरोना योद्धा हों या फिर परदेशी बाबुओं की मदद में वह खूब आगे दिख रहे हैं। बिस्किट और नमकीन की फेरी लगाकर परिवार का भरण पोषण करने वाले आचार्य आम आदमी से लेकर खास तक पहिचान बना चुके हैं।
..कोरोना योद्धा..
जागरण संवाददाता, फतेहपुर: कोरोना के कहर से जहां दुनिया में डर व दहशत का माहौल है, वहीं ऐसे लोग भी हैं जो अपनी मजबूत इच्छाशक्ति से इस बीमारी से जंग जीत चुके हैं। अब वह पूर्ण रूप से स्वस्थ्य हैं और अपने जीवन में खुशियों के रंग भरने में जुट गए हैं। जिले में यूं तो कुल 33 कोरोना वायरस की गिरफ्त में आए हैं, लेकिन चार युवा ऐसे हैं जिन्होंने कोरोना को हरा दिया है।
.............
कब गिरफ्त में आया पता नहीं लगा
मैं दिल्ली से कानपुर आया, वहां से तीन दोस्तों के संग ट्रक से कानपुर पहुंचा। कोरोना वायरस ने कब गिरफ्त में ले लिया समझ ही नहीं आया। मुझे कोई दिक्कत भी नहीं थी, लेकिन पॉजिटिव होने की जानकारी पर कुछ तनाव जरूर रहा। मन में एक निश्चय लिया कि अब जो भी है देखा जाएगा लेकिन बीमारी से नहीं मरना है। 12 दिन तक नाश्ता, खाना सब समय पर और सभी से दूरी बना कर रखी। 13वें दिन पता चला कि अब मै ठीक हूं तो राहत मिली। - रहेंद्र सिंह कबरा-धाता जीने की चाह ने दिलाया छुटकारा
कोरोना का वायरस किसी को भी अपनी गिरफ्त में ले सकता है, लेकिन अगर आप मेंजीवन जीने की इच्छाशक्ति है तो आप इसे आसानी से हरा सकते हैं। यूं तो इसकी कोई दवा नहीं है ऐसा डॉक्टर कहते हैं, लेकिन मात्र 14 दिन नियम-संयम आपको इससे लड़ने में सहायक बनाता है। आप मन में विश्वास और डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें, अगर आपको यह वायरस हो भी जाता है तो आपसे यह हार कर ही लौट जाएगा ऐसा मेरा विश्वास है। चंद्रशेखर पुरइन संक्रमित होने के बाद एहतियात ही बचा रहा जान
मुझे पहले नहीं पता था कि शारीरिक दूरी व चेहरे पर हमेशा मास्क पहनने से संक्रमण का खतरा बहुत हद तक कम होता है। आप समय से भोजन, नाश्ता करें अपने आवास में स्वच्छ वातावरण बनाएं। मुझे प्रभावित होने के बाद बुखार आया, इसके अतिरिक्त कोई दिक्कत नहीं हुई। डॉक्टर बुखार की दवा देते रहे और समय पर भोजन कराते रहे और मैं स्वस्थ्य हो गया।
सुरेश सिंह कटोघन