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कॉपी-किताब बिक्री में प्रकाशकों और स्कूल प्रबंधन का गठजोड़

जागरण संवाददाता फतेहपुर निजी स्कूलों और प्रकाशकों (किताब छपवाने वाले) के गठजोड़ से

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Apr 2021 06:04 PM (IST)Updated: Fri, 09 Apr 2021 06:04 PM (IST)
कॉपी-किताब बिक्री में प्रकाशकों और स्कूल प्रबंधन का गठजोड़
कॉपी-किताब बिक्री में प्रकाशकों और स्कूल प्रबंधन का गठजोड़

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : निजी स्कूलों और प्रकाशकों (किताब छपवाने वाले) के गठजोड़ से अभिभावक अपने आप को ठगा महसूस करते हैं। अभिभावकों से कॉपी-किताब के नाम पर मोटी रकम वसूलने वाले बुक सेलर्स का कहना है कि वह तो बेवजह बदनाम होते हैं। उन्हें को बिक्री की फिक्स धनराशि ही परिवार के जीविकोपार्जन के लिए मिल पाती है।

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जितना नामी स्कूल होता है उसमें पढ़ने वाले छात्रों का बस्ता उतना ही महंगा होता है। सामान्य दर्जे के स्कूलों में कक्षा एक से पांच तक का बस्ता साढ़े तीन से पांच हजार रुपये के बीच है। कक्षाएं बढ़ती हैं तो बस्ते की कॉपी किताबों का दाम बढ़ता जाता है। अभिभावक को तयशुदा राशि अदा करनी पड़ती है। इस भारी भरकम राशि अदा करने में लोगों के होश उड़ जाते हैं। दाम कम ज्यादा करने की बात सुनते ही बुकसेलर्स और खरीदार के बीच विवाद की स्थिति पैदा हो जाती है। नाम न छापने की शर्त पर बुकसेलर्स ने बताया कि प्रकाशक सीधे स्कूलों से बात करते हैं। छात्र संख्या के आधार पर स्कूल प्रबंधन से सौदा करते हैं। स्कूल संचालक मनमाफिक कमाई में हिस्सा लेकर संबंधित बुकसेलर्स के यहां किताबें रखवाने को हरी झंडी देते हैं। किताबों का डिमांड ड्राफ्ट फरवरी माह में ही प्रकाशक के पास जमा करना होता है। अलग अलग प्रकाशकों के हिसाब से 5 से 10 प्रतिशत बिक्री का अंश ही मिल पाता है। लाखों रुपये हो जाते हैं हजम

स्कूल का सफल संचालन करके अधिक छात्र संख्या वाले स्कूल प्रबंधक निजी प्रकाशकों से सौदा करते हैं। एक एक स्कूल छात्र संख्या के आधार पर लाखों रुपये अभिभावकों की जेब का हजम करते हैं। खुद को पाक साफ साबित करके पूरे गठजोड़ से अलग दर्शाते हैं। बुकसेलर्स की मानें तो 25 से 35 प्रतिशत की कमाई निजी स्कूल संचालक के हिस्से में जाती है। एनसीइआरटी की किताबें सस्ती

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीइआरटी) की किताबें निजी प्रकाशकों की अपेक्षा सस्ती पड़ती हैं। अनुसंधान और तमाम परीक्षणों के बाद बच्चों के पठन पाठन के लिए पूरे मानक होते हैं। निजी प्रकाशकों की अधिक कमाई की मंशा पर पानी फेरने के लिए शासन एनसीइआरटी की किताबों पर जोर दे रहा है। यथा संभव संचालन पर प्रयास भी किए जा रहे हैं। एनसीइआरटी और निजी प्रकाशकों की किताबों में भारी अंतर होता है। जिला विद्यालय निरीक्षक महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि अगर किसी अभिभावक की ओर से शिकायत मिलती है तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी।


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