Move to Jagran APP

भा गई स्ट्रॉबेरी की खेती, बढ़ेगा दायरा

जागरण संवाददाता फतेहपुर हिमाचल प्रदेश में संपन्नता की सुगंध बिखरेने वाली स्ट्रॉबेरी की

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 11:23 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 11:23 PM (IST)
भा गई स्ट्रॉबेरी की खेती, बढ़ेगा दायरा
भा गई स्ट्रॉबेरी की खेती, बढ़ेगा दायरा

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : हिमाचल प्रदेश में संपन्नता की सुगंध बिखरेने वाली स्ट्रॉबेरी की खेती प्रदेश के किसानों को भी खुशहाली की राह दिखाएगी। बुंदेलखंड के झांसी में शुरू हो रहे स्ट्रॉबेरी महोत्सव का रविवार को मुख्यमंत्री ने राजधानी से शुभारंभ किया तो प्रयोग के तौर पर स्ट्रॉबेरी खेती कर रहे प्रदेश के किसानों की उम्मीदें बढ़ गई है। मिट्टी व मौसम की अनुकूलता के साथ इसकी खेती से किसानों को तीन गुना से अधिक आय का रास्ता तैयार होगा।

loksabha election banner

शहर के तपस्वीनगर में समाजसेवी अशोक तपस्वी ने एक एकड़ क्षेत्रफल में स्ट्रॉबेरी की खेती वर्ष 2017 में शुरू की थी। जिले में पहली बार स्ट्रॉबेरी की खेती को देखने के लिए जनपद ही नहीं आसपास के जिले के किसान भी आए। तीन साल तक स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले प्रगतिशील किसान का कहना है कि प्रदेश सरकार से यदि सुविधाएं व अनुदान मिलने लगे तो स्ट्रॉबेरी प्रदेश की मुख्य व्यवसायिक खेती हो जाएगी। इस समय किसान को स्ट्रॉबेरी की पौध हिमाचल प्रदेश व महाराष्ट्र से मंगानी पड़ती है, जो कि महंगी पड़ती है।

----------------

तीन लाख खर्च, नौ लाख की आय

- प्रगतिशील किसान ने बताया कि एक एकड़ में तकरीबन 25-26 हजार पौध लगाए जाते हैं। जिसकी लागत दो लाख से अधिक आती है। अन्य खर्च मिलाकर तीन लाख के तकरीबन लागत लग जाती है। कहा कि स्ट्रॉबेरी की बिक्री के लिए किसान को परेशान होने की जरूरत नहीं हैं। कहा कि एक पौध में 400 ग्राम की औसत पैदावार मिलती है जिसमें किसान को 8 से 9 लाख रुपये की आय हो जाती है। कहा कि अक्टूबर माह में स्ट्रॉबेरी की पौध लगाई जाती है। इसकी फसल के लिए 5 से 15 डिग्री सेल्सियस का तापमान चाहिए। 120 दिन की फसल होली के पहले तक फलत मिलती है।

--------------

महोत्सव से मिलेगी नई पहचान

- रविवार से बुंदेलखंड की धरती में एक माह का स्ट्रॉबेरी महोत्सव शुरू होने की जानकारी से प्रगतिशील किसान बेहद खुश है। कहते हैं कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस महोत्सव का शुभारंभ कर स्ट्रॉबेरी की खेती को प्रदेश में नई पहचान दिला दी है। कहा कि अभी तक यहां के किसान स्ट्रॉबेरी के प्रति जागरूक नहीं थे। वह यह मानते है कि इसकी खेती यहां हो ही नही सकती। कहा कि अगले साल वह कलस्टर बनाकर सौ एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती करेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.