गोदाम में भंडारण खत्म, रैक का हो रहा इंतजार
जागरण संवाददाता फतेहपुर आलू समेत रबी की अन्य फसलों की बुआई में खाद की मांग बढ़ी तो ड
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : आलू समेत रबी की अन्य फसलों की बुआई में खाद की मांग बढ़ी तो डीएपी का संकट गहरा गया। हालत यह है कि अगर दो दिन के अंदर रैक न आई तो जिले में डीएपी का भंडारण पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। शनिवार को बफर में बचे मात्र 390 मीट्रिक टन (एमटी) के स्टाक को समितियों में भेजने की तैयारी की जा रही थी। जिले की 90 फीसद समितियों में ताला लटक रहा है और किसान प्राइवेट से महंगे दाम पर खाद लेने को मजबूर हैं।
रबी फसल में आलू, सरसों, मटर आदि फसलों की बुआई तेजी से शुरू होने से खाद की मांग भी बढ़ गई है। डीएपी मांग के अनुरूप न मिल पाने के कारण खाद का संकट शुरू से ही बना हुआ है। बारिश के कारण अभी बुआई ठिठकी है लेकिन एक-दो दिन बाद एक साथ खाद की मांग बढ़ने से अधिकारी खासे परेशान हैं। डीएपी की दो रैक और एनपीके की एक रैक की मांग 10 दिन पहले की गई थी। मंगलवार तक डीएपी के एक रैक आने की पूरी संभावना है।
प्राइवेट में सौ से दो रुपये ले रहे ज्यादा
खाद की किल्लत का फायदा उठाते हुए प्राइवेट में कालाबाजारी की जा रही है। शहर के खाद विक्रेताओं ने 12 सौ रुपये प्रति बोरी बिकने वाली डीएपी 13 सौ रुपये में दे रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में दो सौ रुपये तक की कालाबाजारी में डीएपी बेची जा रही है। खागा क्षेत्र में समितियों में खाद का अकाल होने से प्राइवेट में अधिक दाम पर बेचे जाने की शिकायतें मिल रही हैं। बुआई के समय ही किसान खाद लें, पहले से स्टाक न करें। किसानों को खसरा-खतौनी के आधार पर अधिकतम तीन बोरी खाद देने का निर्णय लिया गया है। डीएपी खाद की उपलब्धता बनी रहे इसके प्रयास किए जा रहे है, किसान विकल्प में एनपीके और एनपीएस लें।
ब्रजेश सिंह, जिला कृषि अधिकारी