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10 वर्ष से नहीं बनी सड़क, अब निजी खर्च पर मरम्मत

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By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Aug 2022 04:00 AM (IST)Updated: Tue, 02 Aug 2022 04:00 AM (IST)
10 वर्ष से नहीं बनी सड़क, अब निजी खर्च पर मरम्मत
10 वर्ष से नहीं बनी सड़क, अब निजी खर्च पर मरम्मत

10 वर्ष से नहीं बनी सड़क, अब निजी खर्च पर मरम्मत

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जागरण संवाददाता, फतेहपुर : बिलंदा से एकारी मार्ग की दूरी तीन किलोमीटर है। 10 साल से यह मार्ग जर्जर है, मार्ग बने इसके लिए बीते तीन साल से पैरवी हो रही है। सड़क बनाई जाए इसकी गुहार केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति, पूर्व विधायक विक्रम सिंह, भाजपा जिला अध्यक्ष आशीष मिश्र, डीएम, सीडीओ व एक्सईएन पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) तक लगाई जा चुकी है। बावजूद इसके सड़क नहीं बनी अब वर्षा में इस मार्ग में चलना दूभर हुआ है तो प्रधान ने निजी खर्च से इस मार्ग की मरम्मत शुरू कराई है।

बिलंदा से एकारी मार्ग यूं तो मुख्य रूप से एकारी गांव की सड़क है, लेकिन आवागमन के लिए इस मार्ग का करीब 14 से 15 गांव के लोग प्रयोग करते हैं। 10 वर्ष पहले बनी इस सड़क की हालत अब पतली हो गई है। जगह-जगह गड्ढे और बोल्डर दिखाई पड़ रहे हैं। आलम यह है कि बाइक व साइकिल सवार गिरकर कमोवेश हर दिन घायल होते हैं। सड़क बने इसके लिए ग्रामीण कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं और अपना मांग पत्र भी दे चुके हैं। ग्रामीणों की मांग पर तीन वर्ष पहले विधायक रहे विक्रम सिंह ने इस मार्ग के मरम्मतीकरण के लिए पीडब्ल्यूडी विभाग को पत्र भी लिखा था लेकिन सड़क नहीं बन सकी।

40 ट्राली पड़ी कंक्रीट, तब निकलने लायक बनी सड़क

यूं तो सड़क पीडब्ल्यूडी की है, लेकिन जब बार-बार शिकायत के बाद भी सड़क नहीं बनी तो प्रधान मंजू साहू ने इसकी मरम्मत की कवायद शुरू की। वह कहतीं है कि ग्राम सभा निधि से यह सड़क नहीं बन सकती है, इसलिए निजी धनराशि से इस मार्ग को चलने लायक बनाया है। मार्ग के गड्ढों में 40 ट्राली कंक्रीट डलवाई है। गड्ढे तो ढक गए हैं कि लेकिन अब भी सड़क नवीनीकरण की समस्या बरकारार है। जिसके लिए प्रयास जारी है।

आइजीआरएस में विभाग का खेल

ग्राम सभा के अलग-अलग 10 लोगों ने इस मार्ग के न बनने पर मुख्यमंत्री जन सुनवाई पोर्टल में शिकायत की है। गजब बात यह है कि पीडब्ल्यूडी विभाग हर शिकायत पर एक जैसा जवाब लगाकर शिकायतों का निस्तारण कर दिया है। निस्तारण रिपोर्ट में यह लिखा गया है कि इस मार्ग के लिए धनराशि की मांग की गई है, बजट आने पर काम कराया जाएगा। लेकिन तीन साल में आज तक इसके लिए बजट ही नहीं मिला।


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