राइफल और बंदूक का घटा क्रेज, 210 ने किया सरेंडर
जागरण संवाददाता फतेहपुर किसी जमाने में शस्त्र लाइसेंस को हनक और स्टेटस सिबल से जोड़कर
जागरण संवाददाता, फतेहपुर: किसी जमाने में शस्त्र लाइसेंस को हनक और स्टेटस सिबल से जोड़कर देखा जाता था। समय बीता तो समाज की विचारधारा भी बदली, अब शस्त्र का क्रेज घटता जा रहा है। आयुध कार्यालय के आंकड़े बता रहे है कि दो साल में 210 लाइसेंस धारकों ने अपना शस्त्र निरस्त करा दिया है।
एक समय था जब घर में असलहे को समृद्धि का सूचक माना जाता था, लेकिन अब मौजूदा समय और हालात में लोग असलहों से दूर भाग रहे हैं। युवाओं में पिस्टल व रिवाल्वर के शौक को छोड़ दिया जाए तो सिंगल बैरल, डबल बैरल और राइफल जैसे मारक असलहे को कोई लेना नहीं चाहता है। जिनके पास हैं वह अपने बच्चों को बतौर वरासत भी यह असलहे नहीं देना चाहते हैं। वर्ष 2019 की बात की जाए तो पूरे साल में 140 शस्त्र लाइसेंस सरेंडर होने के बाद निरस्त किए थे। वहीं वर्ष 2020 में भी 70 से अधिक शस्त्र लाइसेंस सरेंडर और निरस्त हुए हैं। जिले में इस समय करीब दो हजार शस्त्र आवेदन में जिसमें 90 फीसद आवेदन पिस्टल और रिवाल्वर के ही हैं। खास बात यह है कि आवेदन करने वाले लोग युवा वर्ग के हैं और इसके पीछे सुरक्षा नहीं बल्कि शौक ही माना जा रहा है।
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मानक और नियम के कारण घटा असलहों का शौक
-हर्ष फायरिग पर पूर्णत: प्रतिबंध लग जाना।
-कारतूस के खर्च का हिसाब होना और ब्योरे की बाध्यता।
-खुद से ज्यादा शस्त्र की सुरक्षा करने की जहमत
-असलहा छीने जाने का भय और नवीनीकरण की अनिवार्यता