समय पर नहीं मिल रही दवा, देखभाल के अभाव में कराहते मरीज
जागरण संवाददाता फतेहपुर कोरोना संक्रमण चल रहा है इसका यह कतई मतलब नहीं है कि
जागरण संवाददाता, फतेहपुर :
कोरोना संक्रमण चल रहा है, इसका यह कतई मतलब नहीं है कि अन्य बीमारियां खत्म हो गई। अन्य तरह के बीमारों को सही इलाज नहीं मिल रहा है। नॉन कोविड रोगियों के लिए संक्रमण काल में सिर्फ एक उम्मीद जिला अस्पताल है। ऐसे में जिला अस्पताल की सुविधाएं और सेवाएं ध्वस्त चल रही हैं। रोगियों को समय पर दवाएं नहीं मिल रही, वार्ड में समुचित देखभाल का अभाव है। फिनायलयुक्त जो पोछा चार बार लगता था, भीड़ बढ़ने के कारण सिर्फ एक बार ही लगाया जा रहा है। ऐसे में यहां भर्ती मरीज ठीक होने के बजाए और बीमार हो रहे हैं।
जिला अस्पताल में मरीज बढ़े हैं तो व्यवस्थाएं छोटी पड़ गई हैं। अगर यहां सिर्फ सीएमएस डॉ प्रभाकर की सेवाओं को हटा दिया जाए तो पूरे अस्पताल में कोई सुनने वाला नहीं है। मंगलवार को वार्ड में करार रही नीलू ने बताया कि सुबह की दवा 11 बजे के बाद और दोपहर की दवा दो बजे मिलती है। जबकि पहले सुबह आठ बजे और दोपहर 12:30 बजे तक दवाएं लग जाती थी। दरअसल स्टाफ रूम में ड्यूटी देने वाले कर्मचारी डॉक्टर के न पहुंचने से बेलगाम है। यहां की सफाई व्यवस्था इस तरह से चौपट है कि वार्ड के शौचालय की तरफ से लगातार बदबू उठ रही है, लेकिन पिछले आठ दिनों से यहां सफाई तक नहीं हो रही है। अस्पताल परिसर में जगह-जगह गंदगी है जो बीमारी को खुद ही न्योता दे रही है।
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हर काम के लिए सिर्फ एक ही कुर्सी
जिला अस्पताल में यूं तो हर काम के लिए अलग-अलग विभाग बने हैं, लेकिन इस समय मरीजों का दवाब बढ़ा है तो परेशानी बढ़ गई है। कोई किसी की सुनने वाला नहीं है। हर काम के लिए सिर्फ एक ही कुर्सी है वह भी सीएमएस की। जहां लोग पहुंच कर अपना दुखदर्द सुनाते हैं। आलम यह है कि छोटे-छोटे काम के लिए वह दौड़ते है और फिर कर्मचारियों पर बरसते हैं।
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एक्सरे कक्ष में दो मौतों से दहशत
जिला अस्पताल के एक्सरे कक्ष में ड्यूटी देने वाले दो कर्मचारियों की मौत कोरोना से हो चुकी है। ऐसे में यहां कोई भी कर्मचारी दस मिनट बैठने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने यहां सैनिटाइजेशन करा दिया है, फिर कर्मचारियों में दहशत फैली हुई है।
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बिना भर्ती वाले मरीज रहे भटक
अस्पताल में ओपीडी बंद है, लेकिन मरीज अब भी आ रहे है। मंगलवार को योगेंद्र कुमार व मनबोधन पैथालॉजी में जांच कराने पहुंचे लेकिन केवल भर्ती मरीजों को उपचार व जांच की सुविधा देने की बात कही। इससे यह मायूस होकर लौट आए और बाहर जाकर निजी पैथालॉजी में जांच कराई।
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19 घंटे कर रहा हूं ड्यूटी : सीएमएस
जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ प्रभाकर का कहना है कि वह 19 घंटे ड्यूटी कर रहे हैं। सिर्फ पांच घंटे के लिए ही सरकारी आवास जा पाते हैं। इस समय आहरण-वितरण अधिकार उनके पास नहीं है, जिसके कारण व्यवस्थाएं कुछ कमजोर हो रही है। मेडिकल कॉलेज के प्रधानचार्य के ज्वाइन करने के बाद हालात सुधरेंगे।