विकास से दूर सांसद आदर्श गांव में आधी हकीकत-आधा फसाना
कामन इंट्रो.. अमौली ब्लाक के परसेड़ा गांव को सांसद आदर्श गांव का तमगा मिला तो ग्रामीणों
फतेहपुर : अमौली ब्लाक के परसेड़ा गांव को सांसद आदर्श गांव का तमगा मिला तो ग्रामीणों की उम्मीदें आसमान तक जा पहुंचीं। बुंदेलखंड जैसे हालात से जूझते इस गांव में शहर की तर्ज पर सुविधाएं और विकास के सपने उछाल मारने लगे। दरअसल इसके पीछे मजबूत विश्वास था कि जिस सांसद ने गांव को गोद लिया, केंद्रीय मंत्री हैं। इसका प्रभाव दिखेगा। ऐसा भी नहीं कि उन्होंने निराश किया, लेकिन जितनी आस ग्रामीण लगाए थे, उतना काम होने की कसक उनमें दिखती है। गांव में कुछ सीसी रोड, ओवरहेड टैंक, घर-घर पाइप लाइन और हर गली में सोलर लाइटें विकास की दस्तक की गवाही देती हैं लेकिन, सिंचाई संसाधनों का अभाव, बदहाल सड़क, बंजर होते खेतों से बर्बाद गांव कई अपेक्षित सुविधाओं से आबाद नहीं हो सका। खपरैल के घरों के बीच पीएम आवास योजना यहां कायाकल्प नहीं दिखा सकी। छह सौ से ज्यादा परिवारों के गांव में महज 13 पीएम आवास ही बने। शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं भी दूर की कौड़ी बनी हुई है। आदर्श गांव में विकास के नाम पर आधी हकीकत-आधा फसाना की दास्तां प्रस्तुत करती शीलचंद्र आर्य की ग्राउंड जीरो रिपोर्ट-
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फतेहपुर के अमौली ब्लाक मुख्यालय से 15 किमी यमुना कछार में बसा सांसद आदर्श गांव परसेड़ा जाने के सफर में पक्के रास्ते में सन्यास नगर से कहिजरा तक सड़क टूटी मिली। इसके बाद कुछ दूर रास्ता सही था। नारायण डेरा से आगे बढ़ने पर चांदपुर-हमीरपुर मार्ग तक दो किमी सड़क में गिट्टी का ही पता नहीं है। रास्ते में हिचकोले खाने पड़ते हैं। बारिश के दिनों में यह रास्ता सबसे दुर्गम रास्ता बन जाता है। यहां के रहने वाले लोग बाजार व इलाज के लिए हमीरपुर का रुख करते हैं। परसेड़ा गांव के मुहाने से पानी का ओवरहेड टैंक तो गलियों में सोलर लाइटे दिखती हैं। यह देखकर लगता है कि यहां गलियों में बढ़ना मतलब विकास यात्रा करना है। लेकिन, गांव में प्रवेश करते ही भ्रम टूटता है जब भैंस चरा रहे अनिल कुमार बड़ी बेबाकी से हाल बयां करते हैं। कहते हैं, 'गांव की हालत खराब है। सांसद निधि से कुछ सीसी रोड तो बनी है, बाकी सब का ठेकेदार पैसा पी गवा। गांव वाले चिल्ला रहै कछु नहीं भा।' गांव के जगरूप यादव व पास में ही खड़ी उनकी भाभी कमला देवी आवेश में कहती हैं, 'गांव में विकास भी जाति देखकर भवा है। प्रधान की बिरादरी ही सांसद हैं.. या कारण तौ हमरे मोहल्ला में काम नहीं हुआ। पूरे गांव में बस्ती के अंदर एकै तालाब है। जानवरों के पानी की सबसे बड़ी समस्या है। तालाब मा पानी भी नहीं बचा है।' गांव के अंदर प्रधान के घर के पास नीम के पेड़ के नीचे चौपाल सजी थी। चौपाल में राम जुहार के साथ जब गांव के विकास की बात पर चर्चा शुरू की गई तो राम सिंह व राम बाबू निषाद बोल पड़े, 'सांसद निधि से बनीं सीसी रोड मा काम करन वालेन का मजदूरी नहीं मिली। अभी 11 मजदूरन का 40 हजार रुपिया की मजदूरी बकाया हय।' इंद्रपाल ने कहा, शौचालय नहीं मिला अब भी बाहर शौच के लिए जाना पड़ता है। कमल सिंह बोले, 'काहे का आदर्श गांव..रामलाल के दरवाजे बारिश का जैसा दलदल गर्मी में भरा है। यह समस्या तौ हल नहीं भई।' सांसद साध्वी निरंजन ज्योति का नाम लिए बगैर रामकिशुन कहते हैं, 'दीदी जेत्ता कहेन रहैं ओत्ता नहीं करेन।' इन लोगों की बात काटते हुए संतोष निषाद बोल उठे, 'विकास तो भवा है लेकिन जिम्मेदार अफसर व कर्मचारी अपना काम सही नहीं करेन एहिके वजह से दी दीन गई व्यवस्था का लाभ पूरा नहीं मिलि पावा।' युवा शुभम, प्रदुम्न एक नई हकीकत सामने रखते हैं, 'सांसद आदर्श गांव से पहले लोहिया गांव था वही योजना से शौचालय, आवास, आधे गांव की बिजली लगी रहे। बाकी सांसद आदर्श गांव बने के बाद सोलर लाइट सीसी रोड ही बनी है।' हरिओम ने कहा, 'खेती सिचाई के लिए दपसौरा पंप केनाल से नहर लाने की योजना अधिकारी बना गए। फिर कोऊ पलटकर नहीं देखे आए।' रजत द्विवेदी अन्ना मवेशी से नुकसान का दर्द बयां करते हैं- इस समस्या से किसान तबाह हो गया है। आधे से ज्यादा गांव के लोग खपरैल डालकर रह रहे हैं। एक भी प्रधानमंत्री आवास नहीं मिला।
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गांव को मिली कच्ची शराब की भट्ठियों से मुक्ति
एक समय था जब परसेड़ा गांव में कच्ची शराब बनाने का काम होता था। इसके चलते यहां नशेबाजी भी खूब रही। सांसद साध्वी निरंजन ज्योति ने इस पर गंभीरता दिखाई। अधिकारियों व ग्रामीणों को लेकर कई बार बैठकें गांव में की। शराब से तौबा करने की अपील की। इसका असर दिखा। अब कच्ची शराब बनाने का काम बंद हो गया। गांव के लोग स्वीकार करते हैं कि नशेबाजी कम हुई है। घर-घर कच्ची शराब बनती थी, युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही थी। अब ज्यादातर युवाओं ने नशाखोरी छोड़ दी।
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गांव अब धुआं रहित चूल्हे के साथ
सांसद की पहल पर ही आइआइटी भोपाल के विद्यार्थियों ने गांव आकर धुआं रहित चूल्हे के उपयोग की भी सीख दी। हालांकि अब गांव में उज्ज्वला गैस कनेक्शन ज्यादातर घरों में पहुंच जाने से अब लकड़ी व कंडों से भोजन पकाने का दौर लगभग खत्म हो गया है।
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इनसेट
ग्राम पंचायत का नाम - परसेड़ा
ग्राम पंचायत की जनसंख्या - 3300
मतदाता संख्या - 1900
परिवारों की संख्या- 612
शौचालय संख्या- 535
विद्युत कनेक्शन- 550
उज्ज्वला गैस कनेक्शन -300
बिजली कनेक्शन - 401
ग्रामीणों को मिले आवास - 75
राशन कार्ड धारक -730
जॉब कार्ड धारक -360