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रिहायशी इलाकों में हटाए नहीं हट रहे दूध के चट्टे

फतेहपुर शिवबली सिंह आईटीआई में प्रशिक्षणार्थियों के लिए 15 नवंबर को सुबह दस बजे से कैंपस चयन का मौका दिया गया है। नोएडा की कंपनी जुबीलेंट फूड व‌र्क्स व एक्सेल प्लेसमेंट औरंगाबाद द्वारा सभी व्यव

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Nov 2019 11:44 PM (IST)Updated: Fri, 15 Nov 2019 06:04 AM (IST)
रिहायशी इलाकों में हटाए नहीं हट रहे दूध के चट्टे
रिहायशी इलाकों में हटाए नहीं हट रहे दूध के चट्टे

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : शहर के वातावरण को प्रभावित कर रहे दूध के चट्टे डीएम के आदेश के बाद भी नहीं हटे। शासन से प्रतिबंधित किए गए चट्टे के संचालक बीते 10 सालों में प्रशासनिक कई नोटिस हजम कर गए हैं। प्रशासन भी नोटिस के बाद इन्हें हटाने के लिए रुचि नहीं लेता है। जिससे अवैध करार दिया गया चट्टे का संचालन रुकने के बजाए बढ़ रहा है। शहर के ज्वालागंज इलाके में संचालित दूध चट्टे को लेकर तत्कालीन डीएम आंजनेय कुमार सिंह ने बस्ती से बाहर करने का आदेश दिया था। वहीं जमीन का तमाम हिस्सा सरकारी भी निकाल दिया था। डीएम के स्थानांतरण होते ही मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

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सदर पालिका क्षेत्र में छोटे बड़े 67 दूध के चट्टों का संचालन चिन्हित किया जा चुका है। शहर के ज्वालागंज, गढ़ीवा, शादीपुर, नासिरपीर, लोधनपुरवा, मसवानी, पक्का तालाब, तुराब अली पुरवा, अस्ती, गड़रियनपुरवा, राधानगर, नई बस्ती आदि इलाकों में गाय और भैंस का पालन करके दूध का कारोबार किया जा रहा है। शासन ने रिहायशी इलाकों में मवेशी पालन को अवैध करार दिया है। इसके बावजूद प्रशासन इन्हें हटवा नहीं पा रहा है। शासनादेश के पालन में पूर्व में जिलाधिकारियों ने इन्हें शहर के खदेड़ने की योजना बनाई। नगर पालिका से नोटिस दिलवाई कि अगर चट्टा संचालन बंद नहीं किया गया तो निर्धारित समय के बाद मवेशी जब्त कर लिए जाएंगे। करीब सवा साल पहले तत्कालीन डीएम आंजनेय कुमार सिंह ने शहर में अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया तो एक बार फिर से मवेशियों के अड्डे निशाने पर आ गए। डीएम का स्थानांतरण हो गया और पालिका ने नोटिस भेजने के बाद इन्हें हटवाने की सुधि नहीं ली। प्रशासनिक सुस्ती के चलते यह अवैध कारोबार दिनों दिन बढ़ता जा रहा है।

स्वच्छ भारत मिशन को लगता झटका

केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्वच्छ भारत अभियान के लिए दूध के चट्टे अभिशाप बने हुए हैं। ज्वालागंज घोसियाने में कदम रखते ही गोबर की सड़ांध और बड़े बड़े ढेर मिल जाएंगे। वहीं नालियों में गोबर और गंदगी पहुंच कर बहाव को बाधित कर रही है। स्वच्छता सर्वेक्षण की रेटिग में शहर उबर नहीं पा रहा है। सदर पालिका को अमृत योजना में चयनित किया गया है लेकिन स्वच्छता की रेटिग कम होने से विकास के लिए पर्याप्त धन नहीं मिल पा रहा है।

संक्रामक बीमारी का फैलता खतरा

गंदगी के चलते मच्छरों की फौज स्थानीय लोगों को परेशानी में डालती है। मवेशी अड्डे वाले इलाकों में गर्मी के दिनों में संक्रामक बीमारी फैलने का खतरा मंडराया करता है। नालियों के बहाव बाधित होने से गंदगी का अंबार परेशानी में डाल रहा है। जून माह में मसवानी इलाके में मलेरिया और टायफायड फैल गया था। स्वास्थ्य विभाग ने टीम भेजकर बीमारी में नियंत्रण किया था।

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शहर में दूध के चट्टों को शासन द्वारा प्रतिबंधित किया गया है। उनकी तैनाती से पूर्व सभी 67 चट्टा संचालकों को नोटिस दी गई थी। चट्टा हटाने का काम सिर्फ नगर पालिका के द्वारा नहीं को सकता है। जमीन आदि के मामले में राजस्व विभाग, सुरक्षा के लिए पुलिस बल की जरूरत होती है। इसके लिए नगर पालिका प्रशासन ने जिला प्रशासन को पत्र लिखा है। इस मामले में पैरवी करके जल्द ही चट्टे हटवाने का प्रयास किया जाएगा।

मीरा सिंह, अधिशासी अधिकारी, सदर नगर पालिका


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