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उम्मीद संजोए किसानों को बाजार ने दिया झटका

जागरण संवाददाता फतेहपुर पिछले साल आलू से अच्छी आय हासिल करने वाले किसान इस बार भारी

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 05:55 PM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 05:55 PM (IST)
उम्मीद संजोए किसानों को बाजार ने दिया झटका
उम्मीद संजोए किसानों को बाजार ने दिया झटका

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : पिछले साल आलू से अच्छी आय हासिल करने वाले किसान इस बार भारी उम्मीद संजोए थे, लेकिन बाजार भाव ने झटका दे दिया। आलू की आमद बढ़ने से भाव प्रति क्विंटल 700 रुपये तक लुढ़क गया। लागत भर न निकल पाने की स्थित में किसान के सामने कोल्ड स्टोर में भंडारण का विकल्प बचता है, लेकिन उसमें खर्च अधिक आने से आम किसान भंडारण नहीं कर पा रहा है। व्यापारियों के हाथ कम दाम पर किसान आलू बेचने को मजबूर हो रहा है।

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पिछले साल के आलू के दाम सीजन में भी एक हजार रुपये प्रति क्विंटल से अधिक रहा। अप्रैल मई महीने में तो आलू दो से ढाई हजार रुपये प्रति क्विंटल तक बिका। कई साल बाद आलू किसानों पर बाजार मेहरबान रहा तो किसानों की आय कई गुना बढ़ गई। आलू से अच्छी आय की चाहत में इस साल भी किसानों ने बढ़-चढ़ कर आच्छादन किया। अधिक उत्पादन हुआ तो बाजार की भाव लुढ़क गए। बुधवार को थोक बाजार में आलू 700 से 800 रुपये प्रति क्विंटल का रहा। बाजार आए करसवा के किसान रामबली, बिलंदा के मो. शाकिर ने कहा, उम्मीद यह थी कि एक हजार रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिल जाएगा, लेकिन बाजार की मंदी ने निराश कर दिया है।

भंडारण में व्यापारियों का कब्जा

जिले में आलू भंडारण की कुल क्षमता 1.19 लाख एमटी की है। कोल्ड स्टोरों में इस समय किसान से ज्यादा आलू व्यापारी भंडारित कर रहा है। व्यापारी किसानों से आलू छह से सात रुपये प्रति क्विंटल का खरीद कर कोल्ड स्टोरों में जमा कर रहा है। बताते है कि भंडारण की कुल क्षमता में पचास फीसद कब्जा व्यापारियों का है। महंगे बीज से बढ़ गई लागत

कोरोना काल में फुटकर में आलू 35 से 40 रुपये प्रति किलो तक बिकी। उस समय आलू की बोआई में करने में किसान को महंगा बीज खरीदना पड़ा। सिचाई, खाद से लागत और बढ़ गई। ऐसे किसान बाजार के भाव से खुद का ठगा महसूस कर रहा है। किसानों का कहना है कि एक हजार रुपये प्रति क्विंटल से कम में आलू बेंचना घाटे का सौदा है। किसान को उपज का पूरा लाभ मिले इसके लिए दूसरे मंडी में आलू ले जाने के लिए भाड़ा में अनुदान देने की व्यवस्था है। तीन साल में औसत से सबसे कम रेट होने पर यह सुविधा किसानों का दी जाती है। अभी तक मूल्य समर्थन से आलू खरीदने के कोई निर्देश नहीं मिले है।

रामसिंह यादव, जिला उद्यान अधिकारी


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