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झिझक छोड़ दहलीज लांघी, 'चमक' उठी किस्मत

फतेहपुर विनोद मिश्र। आधी आबादी ने झिझक छोड़कर दहलीज लांघी तो अपनी किस्मत खुद चमका ली। जो

By JagranEdited By: Published: Fri, 11 Sep 2020 12:31 AM (IST)Updated: Fri, 11 Sep 2020 12:31 AM (IST)
झिझक छोड़ दहलीज लांघी, 'चमक' उठी किस्मत
झिझक छोड़ दहलीज लांघी, 'चमक' उठी किस्मत

फतेहपुर, विनोद मिश्र। आधी आबादी ने झिझक छोड़कर दहलीज लांघी तो अपनी किस्मत खुद चमका ली। जो महिलाएं कल तक सौ-पचास रुपये के लिए घर के पुरुषों पर आश्रित थीं, आज वह गृहस्थी की गाड़ी चलाने में कंधे से कंधा मिला रही हैं। राष्ट्रीय आजीविका मिशन ने उनके हुनर को निखारा,अब जिले भर में 260 स्वयंसहायता समूहों की ढाई हजार महिलाओं की जिंदगी चाìजग एलईडी बल्ब से रोशन है। मिशन के तहत पिछले साल 50 स्वयंसहायता समूहों को एलईडी बल्ब बनाने की तकनीकी ट्रेनिंग एनआरएलएम व केपी मोरा कंपनी ने मिलकर दी थी। अब यह दक्षता ट्रेनिंग 260 समूहों तक पहुंच गई है। उपायुक्त एनआरएलएम लालजी यादव बताते हैं कि शुरुआती दौर में कच्चे माल की आपूíत व बाजार में उत्पाद की बिक्री का संकट था, लेकिन अब कच्चा माल केपी मोरा कंपनी मुहैया करा रही है।

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(केस..1)

जगतपुर गाड़ा निवासी बीना देवी कहती हैं कि गरीबी ने इम्तिहान लेना शुरू किया तो साल 2016 में मा लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह से जुड़ गईं। समूह की 11 महिलाओं ने जैविक खाद फिर तिल की खेती की। खास लाभ नहीं मिला तो वर्ष 2019 में प्रशिक्षण लेकर बल्ब निर्माण में जुट गईं। अब समूह की प्रत्येक महिला 20 हजार रुपये प्रतिमाह तक कमाती हैं। इसी कमाई से दो बेटियों की शादी धूमधाम से की और बेटे के पढ़ाई कराई। (केस-दो)

शेरावाली समूह का गठन कर तेलियानी की कमला गरीब महिलाओं का सहारा बनीं हैं। यूं तो वह वर्ष 2014 से समूह बनाकर अलग-अलग काम कर रहीं थीं, लेकिन अच्छा मुनाफा न मिलने से परेशान थी। वर्ष 2019 में वह बल्ब बनाने के काम से जुड़ीं। पहले तो सिर्फ बल्ब बनाने का प्रशिक्षण लिया। बाजार में बढ़ती माग के बाद समूह की सभी 10 महिलाओं को इलेक्ट्रानिक झालर, राड, सजावटी लाइटों को बनाने का प्रशिक्षण दिलाया। कमाई के साथ ही समूह में बचत कर सदस्यों की भी मदद करती हैं। मुनाफे का गणित

समूह की एक महिला एक दिन में औसतन 30 एलईडी बल्ब तैयार करती हैं। एक बल्ब बाजार में 300 और थोक में 250 रुपये में बिकता हैं। बिजली जाने के बाद भी ये बल्ब चार घटे तक रोशनी देते हैं। बल्ब के निर्माण का कच्चा माल प्रति बल्ब 200 रुपये में मिलता है। ऐसे में फुटकर बिक्री में 100 और थोक बिक्री में प्रति बल्ब 50 रुपये का लाभ होता है।

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ऐसे होती है बिक्री

महिलाओं को खुद बिक्री का अधिकार है लेकिन मार्केटिंग का प्रशिक्षण ले चुकीं महिलाएं भी बिक्री करती हैं। वह जनपद के अलावा कानपुर, प्रयागराज, बादा की बाजारों में होती है। इसके लिए उन्हें प्रति बल्ब 20 रुपये कमीशन दिया जाता है।

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आत्मनिर्भर हो रहीं महिलाएं

गाव में संचालित सभी समूह की महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए उनको प्रेरित करने का काम समूह सखी व ग्राम संगठन अध्यक्ष का होता है। समूह सखी नित्या व ग्राम अध्यक्ष सुनीता कहतीं हैं कि महिलाएं घरेलू काम के साथ ही ऐसे कामों से जुड़कर आत्मनिर्भर हो रहीं हैं।

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इन समूहों का प्रदर्शन सबसे बेहतर

- दुर्गा महिला समूह भैरमपुर

- जागेश्वर बाबा समूह असवार तारापुर

- लक्ष्मी स्वयंसहायता समूह चक

- उत्तम महिला समूह लालीपुर

- खुशी स्वयंसहायता समूह बीसापुर

- श्रीगणेश समूह खजुहा

- तुलसी माता समूह बिंदकी

- वैष्णवी समूह चौडगरा


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