महिला सशक्तीकरण की मिसाल बनेंगी लक्ष्मी, खुद चलाएंगी ई-रिक्शा
फतेहपुर की है खबर
महिला सशक्तीकरण की मिसाल बनेंगी लक्ष्मी, खुद चलाएंगी ई-रिक्शा
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : विपरीत परिस्थितियों में हार न मानना ही जीत का मंत्र है। रूपवती कालोनी की लक्ष्मी मौर्य पति की मौत के बाद जिस हौसले से काम किया, उससे उनकी जीने की राह आसान हो गई। गुरुवार को कलेक्ट्रेट प्रांगण में डीएम अपूर्वा दुबे ने महिला को ई-रिक्शा की चाबी सौंप जिले की प्रथम महिला ई-रिक्शा कामर्शियल का लाइसेंसधारक घोषित किया। चालक सीट पर बैठकर महिला ने ई-रिक्शा सड़क पर दौड़ाया तो हर किसी ने जज्बे उसके को सलाम किया। इस दौरान अफसरों ने कहा, वह महिला सशक्तीकरण की मिसाल बनेंगी।
दो विषय से परास्नातक और बीएड की डिग्री हासिल किए लक्ष्मी के पति संतोष किराए में आटो चलाते थे। बीमारी के चलते वर्ष 2013 जब मौत हुई तो लक्ष्मी के सामने एक चार व एक पांच साल के बेटे की परवरिश व पढ़ाई का संकट था। आबूनगर के एक स्कूल में शिक्षिका और ट्यूशन से किसी तरह घर खर्च उठाया। कोरोना काल में स्कूल की नौकरी छूटी तो लक्ष्मी के सामने मुश्किलें आ गईं लेकिन वह अपना हौसला बनाए रखा। भाजपा महिला नेता सुनिधि तिवारी ने लक्ष्मी की स्थित देखकर किसी योजना का लाभ दिलाने के लिए डीएम से म़ुलाकत कराई।
आठ दिनों में सीखा ई-रिक्शा चलाना
जिलाधिकारी ने महिला को पीएम रोजगार सृजन योजना से अनुदानित ऋण लेने की सलाह दिया तो महिला ने पति के हुनर ई-रिक्शा का चालक का काम ही चुना। लक्ष्मी एक सप्ताह में ई रिक्शा चलाना सीख लिया तो एआरटीओ कार्यालय से स्थायी लाइसेंस प्राप्त हो गया। लक्ष्मी ने बताया कि दस दिन के लोन की पूरी कार्रवाई पूरी हो गई। 1.45 लाख के ऋण में 50 हजार अनुदान मिलेगा, शेष धनराशि किस्तों में चुकानी होगी। कहा कि आज पहले दिन उसके एक चक्कर लगाया और दो सौ रुपये की कमाई हो गई।
समाजसेवी ने की 25 हजार की मदद
लक्ष्मी के जीवटता को देखते हुए समाजसेवी भी मदद को आगे आ रहे हैं। समाजसेवी प्रदीप रस्तोगी ने महिला के लोन वाले खाते में 25 हजार की सहायता राशि आनलाइन दिया है। कहा कि इस मदद से लक्ष्मी की बैंक की किस्त कम हो जाएगी और वह ई रिक्शा की कमाई से बच्चों का खर्च पूरा कर लेगी।