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आइटीआइ की छात्रा फंदे में लटकी, मौत

जागरण संवाददाता फतेहपुर शहर क्षेत्र के नासिरपीर मोहल्ले में रहने वाली आइटीआइ की एक

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 11:41 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 11:41 PM (IST)
आइटीआइ की छात्रा फंदे में लटकी, मौत
आइटीआइ की छात्रा फंदे में लटकी, मौत

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : शहर क्षेत्र के नासिरपीर मोहल्ले में रहने वाली आइटीआइ की एक 19 वर्षीय छात्रा ने दुपट्टे से पंखे में फंदे में लटकी मिली। मकान मालिक की सूचना पर पहुंची हरिहरगंज चौकी पुलिस ने कमरे को तोड़वाकर शव को फंदे से नीचे उतरवाया और स्वजन को सूचना दी, उस बीच मोहल्लेवासियों की भीड़ लगी रही।

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बिदकी कोतवाली के सीतापुर निवासी 19 वर्षीय मनीषा सिंह यादव पुत्री शिव सिंह शहर के नासिरपीर स्थित एक मकान में किराए पर रहकर पढ़ाई करती थी। बताते हैं कि गुरुवार रात काफी देर तक जब छात्रा का कमरा नहीं खुला तो मकान मालिक ने पुलिस ने सूचना दी। हरिहरगंज चौकी इंचार्ज विजय त्रिपाठी ने कहा कि अनुमान है कि बीमारी के वजह से छात्रा ने जान दी है, स्वजन के आने का इंतजार किया जा रहा है। दरवाजे के सामने से बाइक चोरी

किशुनपुर: थाना क्षेत्र के नरैनी गांव निवासी गुड्डा पुत्र छेददू के दरवाजे खड़ी बाइक अज्ञात लोग चोरी कर ले गए। सुबह भुक्तभोगी ने देखा तो दरवाजे से बाइक गायब थी। वाहन स्वामी ने पड़ोस के रहने वाले संदिग्ध व्यक्तियों पर चोरी की आशंका व्यक्त की है। शौचालय निर्माण की जांच को पहुंची टीम

हथगाम: ब्लाक क्षेत्र के हुलासी का पुरवा मजरे कसरांव में शौचालय निर्माण की शिकायत के बाद जांच टीम ने पहुंचकर ग्रामीणों के बयान दर्ज किए। गांव के रहने वाले इन्द्रराज मौर्य ने बताया कि उन्होने बीते 16 नवंबर को जनसुनवाई पोर्टल में ग्राम पंचायत कसरांव के अंतर्गत शौचालय निर्माण में अनियमितता व धांधली की शिकायत की थी। - संसू किसानों का शोषण कर रहे झोलाछाप

धाता: ब्लाक क्षेत्र के कई गांवों में झोलाछाप मवेशियों का इलाज करने के नाम पर पशुपालको का शोषण कर रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि हर गांव में एक व्यक्ति मवेशियों का इलाज करने की दुकान खोले बैठा है। सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं न मिलने से मजबूरी में किसान इनकी मदद लेते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि बीमार मवेशी का इलाज करने में मनमानी उगाही की जाती है। इलाज भी सही ढंग से नहीं किया जाता है। मवेशी का इलाज करने में तीन से चार हजार रुपये खर्च करने के बाद कई बार पशुधन का नुकसान भी उठाना पड़ जाता है।


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