पहले लॉक डाउन से अब नदियों के उफान से किसान परेशान
संवाद सहयोगी औंग/बिदकी गंगा कटरी के इलाके में अधिकांश किसान नकदी फसलों पर निर्भर ह
संवाद सहयोगी, औंग/बिदकी : गंगा कटरी के इलाके में अधिकांश किसान नकदी फसलों पर निर्भर हैं। इसमें सब्जी की खेती सबसे अधिक है। कोविड-19 के दौरान लॉकडाउन के समय किसानों की फूल व सब्जी की फसल खेत में ही नष्ट हो चुकी है। किसान आर्थिक रूप से टूट चुका है, अब खेत में तैयार हो रही धान व मिर्च की फसल पर बाढ़ का संकट मंडरा रहा है। गंगा व पांडु का जल स्तर और बढ़ा तो हजारों बीघे में तैयार फसल डूब जाएगी। कटरी क्षेत्र में इन दिनों मिर्च की खेती बड़े पैमाने पर है। एक पखवारे बाद हरी सब्जी लौकी, तरोई भारी तादाद में बाजार पहुंचने लगेगा।
एसडीएम आशीष कुमार ने कहा कि लेखपाल के माध्यम से पूरी कटरी का सर्वे कराया जा रहा है। किसानों के कौन सी फसल बो रखी है। बाढ़ आने पर कितना नुकसान होगा। इसका पहले से आंकलन कराया जा रहा है। सब्जी की खेती सबसे अधिक है। फूल भी यहां पर लगा है।
किसानों का दर्द
लौकी और कद्दू की खेती लॉकडाउन के समय सजी थी। बाहर बाजार जाने का साधन न मिलने से सब्जी खेत में ही खराब हो गई। अब परवल, मिर्च व धान तैयार हो रहा है। गंगा में उफान से डर लग रहा है। बाढ़ आई तो फिर सब तबाह हो जाएगा।
रामराज औसेरीखेड़ा
अब खेत में गुलदावदी के फूल के पौधे खेत में तैयार हो रहे हैं। बाढ़ आ गई तो बहुत बड़ा नुकसान होगा। क्योंकि लॉकडाउन के समय खेत में खड़ी फसलों की उपज किसान बाहर नहीं ले जा पाया है।
सुरेश दरियापुर
गेंदा गुलाब की खेती को कोरोना खा गया। अब बाढ़ डरा रही है। बाढ़ आई तो कटरी का किसान भूखों मरने की स्थिति में आ जाएगा। किसान दाने-दाने को परेशान हो जाएगा।
शिवराम बड़ा खेड़ा खेत में तरोई और परवल तैयार हो रहा है। एक पखवारे में कुछ न कुछ फसल निकलने लगेगी। इससे घर का खर्च चलेगा। बाढ़ आ गई तो पूरे कटरी के किसान को भारी नुकसान होगा।
नंद किशोर बिदकी फारम