गन्ना की फसल में रोग लगने से चिता में डूबे किसान
संवाद सूत्र धाता ब्लाक क्षेत्र के दर्जनों गांवों में गन्ना की खेती प्रमुख फसल के रूप में की जाती ह
संवाद सूत्र, धाता: ब्लाक क्षेत्र के दर्जनों गांवों में गन्ना की खेती प्रमुख फसल के रूप में की जाती है। सैकड़ों बीघा क्षेत्रफल में इसका उत्पादन किया जाता है। इस वर्ष फसल में रोग लगने से किसान परेशान हैं। किसानों की मानें तो आठ वर्ष पूर्व भी इसी तरह रोग की वजह से गन्ना की फसल बर्बाद हो गई थी। गन्ना की फसल को रोग से बचाने के लिए किसान तरह-तरह के जतन लगा रहे हैं। दिनेश सिंह, लालबहादुर सिंह, कृष्णगोपाल सिंह, रोशन सिंह आदि किसानों का कहना था इससे पहले भी एक बार इसी तरह गन्ना की फसल रोग की वजह से बर्बाद हो चुकी है। यदि पुन: फसल खराब हो गई तो हजारों रुपये का नुकसान उठाना पड़ जाएगा। किसानों का कहना था एक साल की तैयार फसल, रोग की वजह से सूखती जा रही है। एक किनारे से शुरू हुई बीमारी कुछ दिन बाद खेत के बीच तक पहुंच रही है। बताते चलें कि क्षेत्र के किसान बड़े पैमाने पर गन्ना का उत्पादन करते हैं। पैदावार को देखते हुए धाता ब्लाक क्षेत्र में ही चीनी मिल द्वारा अधिकांश क्रय केंद्र खोले जाते हैं। क्षेत्रीय किसान व जनप्रतिनिधि भी इस क्षेत्र में गन्ना मिल लगाए जाने को लेकर वर्षों से प्रयासरत हैं। किसानों का कहना था रोग की रोकथाम के लिए जो भी उपाय अपनाए जा रहे हैं, उनसे फसल में बहुत सुधार नहीं हो रहा है।
क्षेत्र के गन्ना उत्पादक गांव
क्षेत्र के कारीकान धाता, अजरौली, जाम, सोनारी, कबरहा, लिहई, अढ़ौली, गोपालपुर, गोकुलपुर, परसिद्धपुर, ऐमापुर, पौली, खैरई, गलेहरा, गुरगौला आदि दर्जनों गांवों में व्यापक पैमाने पर गन्ना की खेती होती है।
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रोग और बचाव के तरीके रोग ग्रसित पौधा देखने के बाद ही सही पहचान हो पाएगी। शुरूआती लक्षण के हिसाब से फफूंदी जनित बीमारी हो सकती है। बुआई के समय पर ही नर्सरी को शोधित करके लगाना चाहिए। रोगी पौधे को खेत से हटाकर इसका फैलाव बचाया जा सकता है। - अंबरीश सिंह, बीटीएम-ऐरायां