नहीं की अपनी परवाह, बचाई जच्चा-बच्चा की जान
जागरण संवाददाता फतेहपुर महामारी के इस दौर में जब हर किसी के मन में कोरोना वायरस ने
जागरण संवाददाता, फतेहपुर: महामारी के इस दौर में जब हर किसी के मन में कोरोना वायरस ने भय और डर पैदा कर दिया है, ऐसे में स्टाफ नर्स और एएनएम कोविड और नॉन कोविड मरीजों की सेवा में रहकर मिसाल पेश कर रही हैं। हसवा पीएचसी में तैनात स्टाफ नर्स वैशाली ने सेवाधर्म निभाने में अपनी जान भी जोखिम में डाल दी, गनीमत यह है कि इन्हें वायरस छू भी नहीं सका।
बात थरियांव कोविड अस्पताल की है। यहां एक महिला को कोरोना पॉजिटिव होने पर भर्ती किया गया था। वह नौ माह की गर्भवती थी जिससे उसकी हालत गंभीर थी, ऐसे में प्रसव कराना और नवजात को कोविड से बचाना चुनौती से कम नहीं थी। स्टाफ नर्स ने इस डिलीवरी की जिम्मेदारी ली और खुद पीपीई किट पहनकर डिलीवरी कराई। सफल डिलीवरी का परिणाम रहा है कि नवजात व प्रसव कराने वाली स्टाफ नर्स को वायरस छू नहीं पाया। सफल डिलेवरी हुई तो एल-1 अस्पताल के प्रभारी डॉ अनुपम सिंह ने इन्हें सम्मानित किया।
सेवा के जरिए जीवन बचाना धर्म- स्टाफ नर्स
वैशाली कहतीं है, मरीज का रोग खत्म करने के लिए दवाइयां काम करती हैं, कौन सी दवा चलेगी इसका निर्धारण डॉक्टर करते हैं। लेकिन एक नर्स अपने सेवाभाव व सटीक देखरेख से मरीज को आधा स्वस्थ कर देती हैं। पॉजिटिव प्रसूता का प्रसव कराना उनका फर्ज था, जिसे उन्होंने पूरा किया।
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भिटौरा की मीनाक्षी बनीं मिसाल
भिटौरा पीएचसी में तैनात एएनएम मीनाक्षी अन्य कर्मचारियों के लिए मिसाल बन गयीं है। दरअसल मीनाक्षी कोरोना की पहली लहर से ही कोरोना ड्यूटी कर रहीं है, लेकिन दूसरी लहर ने इन्हें भी प्रभावित किया और यह पॉजिटिव हो गयीं। पॉजिटिव होने के बाद यह घर में होम आइसोलेशन में रहीं और रिपोर्ट निगेटिव आई तो पुन: सेवा शुरू कर दी। भिटौरा पीएचसी के प्रभारी डॉ विमल चौरसिया ने इन्हें पहले भी टीकाकरण के काम में लगाया था, अब निगेटिव होकर आई तो इन्हें फिर से टीकाकरण का काम सौंपा। पीएचसी कर्मचारियों ने इनके हौसले को सलाम करते हुए इनका स्वागत कोरोना योद्धा के रूप में किया।