ससुराल से पीहर पहुंची 'गुड़िया', गांव गुलजार
जागरण संवाददाता फतेहपुर नाग पंचमी यानी गुड़िया का पर्व जनपद में परंपरागत ढंग से मनाया जा
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : नाग पंचमी यानी गुड़िया का पर्व जनपद में परंपरागत ढंग से मनाया जाता है। गांवों में ससुराल से पीहर ज्यादातर नवविवाहिता पहुंच गईं। ऐसे में गांवों में पर्व की खुशियां देखते ही बन रही हैं। एक तरफ जहां नव युवतियों समेत बच्चे झूलों पर पेंग भर रहे हैं। वहीं, नवविवाहिताएं और लड़कियां हाथ में मेहंदी सजाने में मशगूल हैं। बाजार में भी श्रृंगार व साज सज्जा की सामग्री की खरीदारी में महिलाओं की खासी तादाद देखने को मिली।
जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में इस पर्व को लेकर खास तैयारी की जाती है। विशेषकर नवविवाहिताएं तो इस पर्व का बेसब्री से इंतजार करती हैं। शुक्रवार को होने वाले इस पर्व के एक दिन पहले ही नवविवाहिताएं अपने पीहर पहुंच गईं। इनके पहुंचते ही एक बार घर-आंगन में चहल-पहल व खुशी का माहौल देखने को मिला। सावन के महीने में झूलों का आनंद लेने के लिए महिलाओं की टोली जहां लगी रही, वहीं कुछ महिलाओं व नवयुवतियां हाथ में मेहंदी सजाती रहीं। घरों में विशेष पकवान भी बनाए जाते हैं। शहर के मुराइनटोला, कलक्टरगंज सहित कई स्थानों पर नागपंचमी को मेले का भी आयोजन किया जाता है। यहां पर छोटे बच्चे जहां खिलौनों के मचलते देखे जाते हैं, वहीं महिलाएं घर-गृहस्थी के सामानों की खरीदारी करती हैं। मनाया गया नाग चौथ पर्व
धन-संपदा, समृद्धि की प्राप्ति के लिए नागों की पूजा की जाती है। एक दिन पूर्व गुरुवार को नाग चौथ पर्व पर घर के हर कोने, लॉन या फिर बाहर दोने में गाय का दूध नागों के लिए रखा जाता है। मान्यता है कि नाग इसे पीने के लिए आते हैं और घर में सुख-शांति के साथ समृद्धि भी आती है। पूजा का है विशेष महत्व
आचार्य पं. दुर्गादत्त शास्त्री के अनुसार 13 अगस्त को हस्त नक्षत्र और शुभ योग में भगवान शिव का जलाभिषेक और नाग देवता का पूजन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। नागपंचमी के दिन शिवालयों में भगवान शिव का जलाभिषेक व नाग देवता का पूजन व दूध पिलाने से शुभ फल की प्राप्ति होती और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।