पनेरुवा में बच्चे की मौत, 71 बुखार पीड़ित मिले
जागरण टीम बिदकी तहसील क्षेत्र के 22 गांवों में बीमारी का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा ह
जागरण टीम बिदकी: तहसील क्षेत्र के 22 गांवों में बीमारी का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। स्वास्थ्य विभाग अपनी नाकामी छिपाने के लिए आशा व एएनएम से ऐसी रिपोर्ट बनवा रहा है, जिसमें हालात सामान्य दर्शाए जा रहे हैं। उधर गांवों में बुखार पीड़ित हर दिन गंभीर हो रहे हैं और उपचार के लिए निजी अस्पतालों की शरण ले रहे हैं। शनिवार को पनेरूवा गांव में बुखार से तीसरी मौत हो गई, जिसके बाद गांव भर में दहशत है।
बुखार के रूप में फैली बीमारी की रोकथाम हो इसके लिए कारागार राज्य मंत्री जय कुमार जैसी से लेकर डीएम संजीव सिंह तक गांवों का दौरा कर चुके हैं और रोकथाम के कड़े निर्देश दिए हैं। इसके बावजूद इसके स्वास्थ्य टीमों के काम में अव्वल दर्जे की लापरवाही है। टीमें हर दिन गांवों में नहीं पहुंच रही हैं। इससे से बुखार पीड़ित लोगों का सही ढंग से उपचार नहीं हो पा रहा है। शनिवार को 22 गांवों के सापेक्ष मात्र तीन गांवों में ही स्वास्थ्य टीमें पहुंची। 19 गांवों में लोग टीम आने की राह तकते रह। पनेरुवा गांव के सुरेश कुमार का 10 वर्षीय पुत्र लकी पिछले एक सप्ताह से बुखार से पीड़ित था। तीन दिन पहले स्वजन इसे उपचार के लिए कानपुर के एक निजी अस्पताल ले गए थे। शुक्रवार की देर रात उसकी मौत हो गई। ग्रामीणों ने गांव में डेंगू फैलने की आशंका जताई और यहां नमूने लेकर जांच कराने की मांग की।
तीन गांवों में बुखार पीड़ितों को मिला उपचार
- बाबूपुर गांव में एक माह से लोग बुखार की चपेट में हैं। मनोज कुमार की बुखार पीड़ित पत्नी महेश्वरी की कानपुर के निजी अस्पताल में मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने शनिवार यहां कैंप लगाया। इसमें 24 नए बुखार पीड़ितों का उपचार हुआ। मनोज के मुताबिक उसकी पत्नी की मौत डेंगू से हुई है। हालांकि सीएचसी अमौली के कार्यवाहक चिकित्साधिकारी डॉ. पुष्कर कटियार ने डेंगू होने की पुष्टि नहीं की है। चांदपुर गांव में चिकित्सकों की टीम ने 14 बीमारों व कुम्हारनपुर में स्वास्थ्य टीम ने 33 बीमारों का उपचार किया। टीम ने किट से मलेरिया जांच की जो कि निगेटिव आई।
मच्छरों से करें बचाव, मिलेगी राहत: सीएमओ
सीएमओ डॉ. एसपी अग्रवाल का कहना है कि बिदकी तहसील के जिन गांवों में बीमारी फैली है। वहां बीमारी की वजह मच्छर है। गंदगी साफ न होने की वजह से दवा छिड़काव के कुछ घंटे में नया लार्वा तैयार हो जाता है। लोग मच्छर से बचाव करें तो इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है।