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जितइबे वही का, जौन हमरे सुख-दुख मा ठाड़ रहै

मनोज शुक्ल जागेश्वर धाम (फतेहपुर) अब तो सबै बड़ी-बड़ी डींगैं हांकत हंय क्षेत्र का चमकावैं

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 04:47 PM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 05:32 PM (IST)
जितइबे वही का, जौन हमरे सुख-दुख मा ठाड़ रहै
जितइबे वही का, जौन हमरे सुख-दुख मा ठाड़ रहै

मनोज शुक्ल, जागेश्वर धाम (फतेहपुर)

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अब तो सबै बड़ी-बड़ी डींगैं हांकत हंय, क्षेत्र का चमकावैं की बात करत हंय। हम तो निश्चय करि चुकेन हन, अबकी ऐसन उम्मीदवार का चुनब जौन सर्वसुलभ होय और हमरे सुख-दुख मां शरीक ह्वात होय। इलेक्शन बाइक के अंतर्गत जब क्षेत्र में घूमकर मतदाताओं की नब्ज टटोली गई तो मतदाता मुकर होकर यही बात कहता है वह अपने चहेते प्रत्याशी का नाम भी लेता है और यह कहने से भी नहीं चूकता कि इस बार वह सोच विचार कर चुका है और सर्वसुलभ व हर समय उनके सुख-दुख में भागीदार बनने वाले को ही तवज्जो देगा।

खेसहन जिला पंचायत की सीट अनारक्षित है। सुबह के साढ़े आठ बजे थे, इस जिला पंचायत सीट के अंतर्गत जब सरकी गांव पहुंचे तो यहां पर रोड किनारे पानी टंकी के समीप केशन सिंह, देवनरायन, रामकुमार, झल्लर व जगदेव चौपाल में बैठे हुए थे। चुनावी चर्चा में मशगूल थे। वहीं पर गुटखा मुंह में चबा रहे झल्लर बोले कि भइया जीतै के बाद कौनो झांकै नाही आवो कि गांव मा का होई रहा। अबकी बारी बातन में नाही उलझिहैं जो विश्वसनीय दीखै ओकेर ही वोट दीहैं। यहीं बैठे युवा केशन बोले कि अरे वहीका चुनैं का हय जौन हमरे सुख-दुख मा कम से कम ठाड़ तो रहत हय। सुबह दस बजे जब बेर्रांव गांव पहुंचे तो पंचायत घर के समीप पान की गुमटी पर धर्मेंद्र त्रिपाठी, बच्चा सिंह, भोला लंबरदार चुनावी चर्चा कर रहे थे। जब इन लोगों की मंशा जानने का प्रयास किया गया तो भोला लंबरदार तपाक से बोले कि भइया हम तो तय कै चुकेन हंय कि कहिका वोट देंय का हय। अब कौनव झांसे में न अइबे। जौन हर समय हमारी मदद करत हय वही का जितइबे। यहां पर बैठे अन्य लोगों ने भी इनकी हां में हां मिलाई। दोपहर के करीब 12 बजे लच्छीरामपुर गांव पहुंचे तो यहां आटा चक्की में आटा पिसान आए गांव के लोगों के बीच चुनावी बहस छिड़ी हुई थी, लक्ष्मी मिश्र बोले कि अबकी वही का जितावैं का हय जौन क्षेत्र का विकास करावै। उनकी बात को काटते हुए मुनई साहू, शिवकरन साहू व गोवर्धन बोल उठे कि भइया या तो बताओ विकास कौन कराई और कौन न कराई, कहैं का तो सबै बड़ी-बड़ी डींगैं हांकत हंय। हम तो या कहित हय कि अबकी जितावा वही का जाय जौन कम से कम हमरे बीच का होय और हर सुख-दुख कम से कम आ जाए। दोपहर बाद एक बजे तब बुधरामऊ गांव पहुंचे तो यहां पर गुड्डा, नितिन, मोहन मिश्र, उमादत्त शुक्ल चर्चा में मशगूल थे। जब इन लोगों को कुरेदा तो स्पष्ट बोले कि भइया अबकी बार तो वहीं का जितावैं का मन बना चुकेन हंय जौन हमरी समस्या का कम से कम अधिकारिन की चौखट तक तो पहुंचा द्यात हय।


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