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मुंबई-दिल्ली से लौटे 511 प्रवासी, खुद करेंगे रोजगार

जागरण संवाददाता फतेहपुर गैर प्रांतों में कमाने गए प्रवासियों के सामने खर्च चलाना मुश्किल पड़

By JagranEdited By: Published: Sun, 30 May 2021 06:21 PM (IST)Updated: Sun, 30 May 2021 06:21 PM (IST)
मुंबई-दिल्ली से लौटे 511 प्रवासी, खुद करेंगे रोजगार
मुंबई-दिल्ली से लौटे 511 प्रवासी, खुद करेंगे रोजगार

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : गैर प्रांतों में कमाने गए प्रवासियों के सामने खर्च चलाना मुश्किल पड़ गया। काफी दिन तो इंतजार करते रहे कि शायद साप्ताहिक बंदी खुल जाए, लेकिन ऐसा न होने पर रविवार को दिल्ली और मुंबई से 511 प्रवासी लौट आए हैं। ट्रेन से उतरने के बाद रोजगार छूटने का दर्द उनके चेहरों में झलक रहा था। स्वजन संग लौटे कुछ प्रवासियों का कहना था कि अब वह खेतीबारी कर स्वजन का हाथ बटाएंगे तो कुछ खुद का छोटा रोजगार खोलने की बात कह रहे थे।

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बता दें कि बीते दो माहों में गैर प्रांतों महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, गुजरात व दिल्ली से नौ हजार से अधिक प्रवासी लौट आए हैं। रविवार को अपरांह ढाई बजे लोकमान्य तिलक-कानपुर एक्सप्रेस से सवार होकर मुंबई से आए 175 प्रवासी स्टेशन में उतरे। चिकित्सकीय टीम के नदारद रहने से प्रवासी बिना जांच कराए ही स्टेशन के बाहर खड़े ई-रिक्शा में सवार होकर निकल गए। स्टेशन अधीक्षक आरके सिंह का कहना था कि प्रवासियों के संक्रमण जांच के लिए तीन शिफ्टों में चिकित्सकीय टीम लगवाई जा रही है। अनुमान है कि चिकित्सकीय टीम लंच करने गई होगी। जोधपुर-हावड़ा से भी आए 44 प्रवासी

भोर पहर से अपरांह तक दिल्ली-प्रयागराज एक्सप्रेस, आनंदबिहार, कालका, नार्थईस्ट,रीवां, पुरुषोत्तम एक्सप्रेस आदि गाड़ियों से 336 प्रवासी दिल्ली से आए, लेकिन पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था नहीं रही। जिससे यात्री ट्रेन से उतरने के बाद सीधे बाहर निकल गए। वहीं जोधपुर-हावड़ा से भी 44 यात्री जयपुर, बीकानेर व जोधपुर से आए। जरूरतमंद लोग ही करवा रहे रिजर्वेशन

कोरोना संक्रमण काल में मुंबई, दिल्ली, पंजाब व गुजरात जाने वाले जरूरतमंद लोग ही रिजर्वेशन करवा रहे हैं। संक्रमण काल के पहले की अपेक्षा न के बराकर यात्री रिजर्वेशन करवा रहे हैं। आस पास प्रयागराज व कानपुर आने वाले वालों की वजह से राजस्व ठीक ठाक चल रहा है। दिन भर में लंबी दूरी के बमुश्किल 30 से 35 रिजर्वेशन ही हो रहे हैं। -योगेंद्र राय, पर्यवेक्षक रेलवे आरक्षण केंद्र। काम छूटने का छलका दर्द

मुंबई के शिवाजी नगर गोल्डी में एक दुकान में टेलर मास्टर है। कमाने के उद्देश्य से वह परदेश गया था। वहां साप्ताहिक बंदी लग जाने से काम बंद हो गया। इससे यहां आकर वह किराने की दुकान खोल खुद का रोजगार करेगा।

मो. सईद, कोरवां, बिदकी। मुंबई के हुलेपार्ले स्थित एक भोजन के होटल में कारीगर हैं। छह माह बाद वह होटल बंद होने पर वापस आ रहा है। घर जाकर स्वजन के साथ खेतीबारी में हाथ बटाएगा।

फिरोज खां, हबीबपुर जाफरगंज। मुंबई के वसई वेस्ट में मिठाई की दुकान में कारीगर हैं। चार माह बाद वह स्वीट हाउस बंद होने पर वापस आया है। अब गांव में ही छोटा कारोबार कर खुद व स्वजन का जेब खर्च निकालेगा।

रविकरन निषाद, खदरा असोथर। मुंबई के अंधेरी में टाटा स्काई कंपनी में कर्मचारी है। कार्यालय बंद हो जाने पर वह काफी दिन साप्ताहिक बंदी खुलने का इंतजार करता रहा लेकिन साप्ताहिक बंदी नहीं खुला जिस पर उसे अपने दोस्त के साथ वापस आना पड़ा।

आकाश वर्मा, मनावां असोथर।


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