2.10 करोड़ से संवरेगा सरदार पटेल प्रेक्षागृह
जागरण संवाददाता फतेहपुर सरकारी व सामाजिक सरोकार से जुड़े कार्यक्रमों को कराने
जागरण संवाददाता, फतेहपुर: सरकारी व सामाजिक सरोकार से जुड़े कार्यक्रमों को कराने ने लिए 20 साल पहले बने सरदार वल्लभ भाई पटेल प्रेक्षागृह की मौजूदा हालत जीर्णशीर्ण हैं, लेकिन अब यह फिर से चमक उठेगा। प्रशासन ने इस बहुआयामी इमारत पर 2.10 करोड़ की पूंजी खर्च करने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा है। वातानुकूलित सुविधा के साथ होने वाले नवीनीकरण से यह पहली सरकारी इमारत होगी जहां हर तरह की सुविधाएं होंगी और सरकारी व सामाजिक सरोकार से जुड़े आयोजन किए जा सकेंगे।
विकास भवन के ठीक सामने बनी यह इमारत निर्माण के साथ ही कमियां बटोरे थी। दरअसल इस इमारत के अंदर एक हजार क्षमता का जो हाल बना हैं उसमें सबसे बड़ी समस्या आवाज(ईको) की है। यहां कार्यक्रम होने पर आवाज इतना अधिक गूंजती है कि हाल में बैठे व्यक्ति को स्पष्ट समझ में नहीं आता। इसकी कुर्सियां व बालकनी में लगे सोफे पूरी तरह से खराब हो चुके हैं। पंखे टूटे हैं तो ऊपर की फालसिलिग भी टूट रही है। बीते चार वर्षों में इसकी मरम्मत के लिए यहां पूर्व में तैनात रहे जिला अधिकारियों ने इसे पुन: बनवाने की इच्छाशक्ति तो दिखाई लेकिन बजट का संकट आड़े आया तो हाथ खींच लिए। अब जिला प्रशासन ने एक बार फिर इसके मरम्मत की कमर कसी है। ताकि इस सरकारी इमारत को बेहतर किया जा सके।
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अब नीति आयोग की पूंजी बनी सहारा
- बीते तीन सालों में जिले को बेहतर काम के इनाम के रूप में करीब दस करोड़ रुपये मिले हैं। इस धनराशि के खर्च की अलग-अलग कार्ययोजना है। इस धनराशि में जिला प्रशासन ने 2.10 करोड़ रुपये इस इमारत के सुधार में खर्च करने का निर्णय लिया है। जिसका इस्टीमेट पीडब्लूडी द्वारा बनाया है।
सांसद निधि से बना था प्रेक्षागृह
- प्रेक्षागृह का निर्माण दो दशक पहले तत्कालीन सांसद डॉ. अशोक पटेल ने सांसद निधि से कराया था। देखरेख व मरम्मत के अभाव के चलते यह इमारत एक दशक बाद ही बदहाल हो गई।
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प्रेक्षागृह को बेहतर बनाने का प्रयास-डीएम
-डीएम संजीव सिंह ने बताया कि प्रेक्षागृह के रूप में प्रशासन के पास एक ऐसी सरकारी इमारत है जहां बड़े कार्यक्रम, मीटिग, आदि की जा सकती है। लेकिन मरम्मत के अभाव में इमारत यूं ही पड़ी है। नीति आयोग से पुरस्कार के रूप में जो धनराशि आवंटित हुई है, उसमें से 2.10 करोड़ की पूंजी हम इस इमारत पर खर्च कर इसे बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे हैं।