'राजा' का साथ पाकर इतराईं हरी सब्जियां
जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद सब्जियों का राजा कहा जाने वाले आलू की कीमतें आसमान छू रही
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : सब्जियों का राजा कहा जाने वाले आलू की कीमतें आसमान छू रही हैं। फुटकर बाजार में इसके दाम 40 रुपये प्रति किलो हैं। जब 'राजा' का यह भाव हो गया तो हरी सब्जियां भी इतराने लगीं। लॉकडाउन में जो तरोई और भिडी दस रुपये किलो थीं, उनकी कीमत भी अब 50 रुपये में हैं। महंगाई के कारण टमाटर और लाल हो गया और महंगा प्याज भी लोगों के आसूं निकाल रहा है। यही हाल दालों की भी है। रसोई के बिगड़े बजट को दालों ने और बिगाड़ दिया है। उन पर महंगाई छाई है। आलू के दाम नीचे उतरने का नाम नहीं ले रहे हैं। फुटकर में आलू 35 से 40 रुपये किलो बिक रहा है। हरी सब्जियां 20 से लेकर 160 रुपये प्रति किलो तक बिक रही हैं। लोगों को उम्मीद थी कि अक्टूबर में आलू के दाम कम होंगे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। सब्जियों पर बढ़ी महंगाई के चलते गरीब आदमी की थाली से तो सब्जी गायब सी होती जा रही है। सब्जी के बढ़े दामों के चलते फुटकर दुकानदार भी कम माल ला रहे हैं। लालसराय पर सब्जी की ठेली लगाने वाले दुकानदार मंगल का कहना है कि सब्जी के दाम बढ़ने के चलते लोग बहुत ही कम सब्जी खरीद रहे हैं। इस वजह मंडी से सब्जी कम ला रहे हैं, क्योंकि ज्यादा सब्जी लाने से वह बच जाती है। अर्रा पहाड़पुर स्थित सब्जी मंडी में आढ़त किए अनुज भारद्वाज कहते हैं कि आलू के दाम कम न होने के चलते हरी सब्जियों का मूल्य भी बढ़ा है। क्योंकि जब आलू सस्ता रहता है तो लोग ज्यादातर आलू ही बनाते हैं। इसके चलते हरी सब्जियों के दाम भी कम रहते हैं। हरी सब्जियों के भाव प्रति किलोग्राम
हरी मेथी- 100
तोरई - 50
टमाटर- 50
हरी मटर- 160
प्याज- 60
बैगन- 40
लौकी- 20
शिमला मिर्च - 100
भिडी - 40
करेला- 50
आलू 36 से 40
दाल के दाम
अरहर - 110-115
उर्द - 95-100
मूंग - 95-100
चना - 70- 75
मसूर 80- 90
'पिछले वर्ष दालों की फसल अपेक्षाकृत कम हुई थी। इस बार भी जायद की फसल लॉकडाउन का शिकार हो गई। इस कारण बाजार में माल ही कम है। त्योहारों के सीजन में मांग अधिक बढ़ गई है। जाहिर है कि दामों में इजाफा होगा।'
- बिरजू गुप्ता, दाल वाले, थोक व्यापारी। 'आलू और सब्जियों के दाम बढ़े हैं, इस कारण दालों के दाम भी बढ़ गए हैं। इस कारण घरों में दालों की मांग भी अधिक हो गई है। ठंड का मौसम आते ही दालों के दाम कम होने की संभावना है।'
- मनोहर लाल सिधी, फुटकर परचून दुकानदार।