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लूट पर लगाम को सरकार ने किया फसल बीमा योजना को ऐच्छिक

जागण संवाददाता फर्रुखाबाद बीमा कंपनियों द्वारा कई बार किसानों को तकनीकी आधार पर फसल

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 07:38 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jul 2020 06:08 AM (IST)
लूट पर लगाम को सरकार ने किया  
फसल बीमा योजना को ऐच्छिक
लूट पर लगाम को सरकार ने किया फसल बीमा योजना को ऐच्छिक

जागण संवाददाता, फर्रुखाबाद : बीमा कंपनियों द्वारा कई बार किसानों को तकनीकी आधार पर फसल में हुए नुकसान के बदले मुआवजे की धनराशि से वंचित कर दिया जाता है। किसानों की शिकायतों के मद्देनजर अब शासन ने कृषि बीमा की अनिवार्यता को समाप्त करते हुए इसे ऐच्छिक कर दिया है। हालांकि इसके लिए किसानों को इसके लिए 24 जुलाई को संबंधित बैंक में असहमति पत्र जमा करना होगा।

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फसल बीमा कंपनियों द्वारा प्रीमियम के नाम पर करोड़ों रुपये वसूलने के बावजूद किसानों को मुआवजे के नाम पर मिलने वाली धनराशि लाखों का आंकड़े भी पार नहीं कर पाती। विगत वर्ष बीमा कंपनी ने खरीफ की फसल के लिए लगभग तीन करोड़ रुपये का प्रीमियम वसूला था। जिसके सापेक्ष मात्र 35 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया। हालांकि विगत वर्ष यह धनराशि मात्र दो लाख रुपये ही रह गई थी। इस संबंध में शिकायतें भी दर्ज कराई गई थीं। इसके चलते अब योजना में परिवर्तन किया गया है। जिला कृषि अधिकारी डॉ. आरके सिंह ने बताया कि फसल बीमा योजना के संचालन के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए संशोधित दिशा निर्देशों के अनुसार योजना में किसानों की भागीदारी को स्वैच्छिक कर दिया गया है। फसली ऋण लेने वाले किसानों के लिए यह प्राविधान किया गया है कि यदि किसान अपनी फसलों का बीमा नहीं कराना चाहते हैं, तो वह संबंधित बैंक शाखा में, जहां से किसान ने फसली ऋण प्राप्त किया है, में अपनी असहमति का पत्र जमा करना होगा। अग्रणी बैंक प्रबंधक डीएन पाल ने बताया कि असहमति पत्र खरीफ की फसल के लिए 24 जुलाई और रबी के मौसम में 24 दिसंबर तक प्राप्त कराना अनिवार्य होगा।


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