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फाल्ट व ब्रेकडाउन के बीच में फंसकर चरमराई नगर व ग्रामीण क्षेत्र की आपूर्ति

- विभाग के पास नहीं हैं इंस्यूलेटर तार व बंच केबल - फाल्ट पर विद्युत कर्मी पुराने तारों से

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Jul 2021 10:46 PM (IST)Updated: Mon, 19 Jul 2021 10:46 PM (IST)
फाल्ट व ब्रेकडाउन के बीच में फंसकर चरमराई नगर व ग्रामीण क्षेत्र की आपूर्ति
फाल्ट व ब्रेकडाउन के बीच में फंसकर चरमराई नगर व ग्रामीण क्षेत्र की आपूर्ति

- विभाग के पास नहीं हैं इंस्यूलेटर, तार व बंच केबल

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- फाल्ट पर विद्युत कर्मी पुराने तारों से लगाते पैच जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : शहर व ग्रामीण क्षेत्र की विद्युत आपूर्ति हल्की बूंदाबांदी या हवा आने पर विभाग की पोल खोल देती है। अधिकारी वर्चुअल बैठक कर बेहतर विद्युत आपूर्ति देने की बात कहकर अपनी पीठ थपथपा लेते हैं, जबकि हकीकत कुछ और ही है। पिछले कई दिनों से जनपद की आपूर्ति व्यवस्था बेपटरी चल रही है।

विद्युत अधिकारी पिछले एक वर्ष से स्टोर में सामान न होने को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों से फरियाद कर रहे हैं। अवर अभियंताओं को कई माह से न तो तार मिला और न ही बंच केबल। यहां तक कि इंस्यूलेटर पंचर होने पर उन्हें ठेकेदारों के आगे हाथ फैलाने पड़ते हैं। शहर व ग्रामीण क्षेत्र के सभी उपकेंद्र पिछले तीन माह ओवरलोड चल रहे हैं। कई उपकेंद्रों की क्षमता बढ़ाने के लिए प्रस्ताव भी दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को भेजे जा चुके हैं। बजट के अभाव में उन पर अभी तक मुहर नहीं लग सकी। लाइनमैन भी विद्युत आपूर्ति में सबसे बड़ा रोड़ा बन जाते हैं। फाल्ट होने पर घंटों उसे ठीक नहीं किया जाता है। कहीं कहीं तो दिन और रात भी गुजर जाता है। उपभोक्ता जब विद्युत कर्मियों व अधिकारियों को खरी खोटी सुनाते हैं, तब कहीं जाकर आपूर्ति शुरू की जाती है। हल्की बारिश या तेज हवा चलने पर शहर व ग्रामीण क्षेत्र की आपूर्ति बंद कर दी जाती है। बारिश थमते ही आपूर्ति शुरू करने पर अधिकांश उपकेंद्र ब्रेकडाउन में चले जाते हैं। फाल्ट ढूंढने के नाम पर घंटों पेट्रोलिग कराई जाती है। इस समस्या से निजात के लिए विभाग के अधिकारियों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। पूरे जनपद में रविवार व सोमवार को भीषण गर्मी व उमस से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

अधिकारियों की अनदेखी उपभोक्ताओं पर भारी

बौद्ध नगरी संकिसा में रविवार से ही बिजली गुल है। आपूर्ति न मिलने से लोग बौद्ध भिक्षु व आसपास के लोग पानी के लिए भी परेशान रहे। अधिकारियों की लापरवाही से अभी तक आपूर्ति शुरू नहीं हो सकी। लाइनमैन व अवर अभियंता पेट्रोलिग करने हवाला देकर टाल मटोल कर रहे हैं। अभी तक विद्युत कर्मी लाइन का फाल्ट ढूंढने में असफल हैं। पखना फीडर अभी तक चालू नहीं किया जा सका। इस फीडर से लगभग आधा सैकड़ा से अधिक गांव के अलावा संकिसा में भी आपूर्ति दी जाती है। अवर अभियंता का कहना है कि फाल्ट ढूंढने को पेट्रोलिग कराई जा रही है। शीघ्र ही आपूर्ति शुरू कर दी जाएगी। उपलब्धता व डिमांड

पूरे जनपद में आपूर्ति के लिए 312 एमवीए के ट्रांसफार्मर तीन बिजली घरों में संचालित किए जाते हैं। जिसमें भोलेपुर, नीबकरोरी व कायमगंज शामिल हैं। ट्रांसमिशन की ओर से क्षमता के अनुसार आपूर्ति की व्यवस्था उपलब्ध रहती है। विद्युत वितरण निगम के कर्मचारियों की लापरवाही से आपूर्ति में समस्या खड़ी होती है। अधिशासी अभियंता ट्रांसमिशन एसके श्रीवास्तव का कहना है कि उनकी तरफ से आपूर्ति मांग के अनुसार उपलब्ध कराई जाती है। क्षेत्रों में फाल्ट होने पर उसे समय से सही करने की जिम्मेदारी वितरण निगम की है। यह बोले जिम्मेदार

'शहर व ग्रामीण क्षेत्र में बारिश शुरू होने से पहले लाइनों पर आए पेड़ों की डाले व झाड़ झंकाड़ हटाने के लिए आदेश दिए गए थे। कुछ स्थानों पर विद्युत कर्मियों ने लापरवाही करते हुए पेड़ की डालें व झाड़ झंकाड़ नहीं हटाए हैं। जिससे फाल्ट अधिक हो रहे हैं। सोमवार को यह काम शुरू करा दिया गया है। कई फीडरों पर इंसूलेटर भी पंचर हो गए हैं। इससे भी अर्थिंग के चलते फाल्ट हो जाता है। व्यवस्था दुरुस्त कराने के लिए अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। तार व बंच केबल मंगवाने के लिए अधिशासी अभियंताओं द्वारा कई बार डिमांड भेजी गई, लेकिन आवश्यकता के अनुसार तार, केबल व अन्य सामान उपलब्ध नहीं हो पाया है।'

- एसके श्रीवास्तव, अधीक्षण अभियंता उपभोक्ताओं का दर्द

'बूंदाबांदी होते ही क्षेत्र की आपूर्ति ठप कर दी जाती है। निर्धारित रोस्टर के अनुसार 18 घंटे बिजली नहीं दी जाती है। अघोषित कटौती भी की जाती है, जो आपूर्ति के रोस्टर में नहीं जोड़ी जाती। वह लोग समय से बिल भी देते हैं।'

- राजपाल सिंह, गांव बिरसिंहपुर नवाबगंज। 'गंगापार क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति व्यवस्था हमेशा ही दयनीय रहती है। साल में लगभग चार माह बाढ़ के चलते आपूर्ति कम मिलती है। अन्य दिनों में भी फाल्ट होने पर लाइनमैन बगैर पैसा लिए ठीक करने नहीं आते। वह लोग चंदा करके पैसे देकर लाइन सही कराते हैं।'

- हरविलास अग्निहोत्री, अमृतपुर। 'कई वर्ष पूर्व क्षेत्र में विद्युतीकरण हुआ था। उसी समय लाइनें बनाई गई थीं। समय अधिक होने से तार जर्जर हैं। सामान्य समय में भी तार टूटकर गिर जाते हैं। उन्हें सही करने के लिए एक या दो दिन इंतजार करना पड़ता है। उसके बाद ही आपूर्ति शुरू की जाती है।'

- मनोज पाठक, श्रृंगीरामपुर। 'नीबकरोरी में 126 एमवीए का बिजली घर संचालित है। यहां से कई उपकेंद्रों को आपूर्ति दी जाती है, लेकिन लाइन पुरानी होने से फाल्ट अधिक होते हैं। फाल्ट सही करने के लिए लाइनमैन पूरे फीडर को शट डाउन करा देते हैं। यह व्यवस्था सुधरनी चाहिए।'

- संतोष दुबे, हरकमपुर, मोहम्मदाबाद।


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