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छोटा सा लालच खतरे में डाल देता यात्रियों की जान

राज्य सड़क परिवहन निगम बसों में यात्रियों को सुविधाएं देने का दावा तो करता है लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। यात्रियों को सर्वाधिक परेशानी बसों से ढोए जाने वाले कामर्शियल लगेज से हो रही है। निगम ने एक कंपनी को लगेज बुकिग का ठेका भी दे रखा है। परिचालक सीधे बसों में नियमों को दरकिनार कर लगेज लादते हैं जिससे अफसर से लेकर परिचालकों तक को मोटी कमाई होती है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Feb 2020 11:05 PM (IST)Updated: Thu, 06 Feb 2020 06:09 AM (IST)
छोटा सा लालच खतरे में डाल देता यात्रियों की जान
छोटा सा लालच खतरे में डाल देता यात्रियों की जान

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : उ.प्र. राज्य सड़क परिवहन निगम भले ही बसों में यात्री सुविधा को बढ़ावा दिए जाने का दावा करता हो, लेकिन बसों से चालक और परिचालकों का 'लालच' यात्री सुविधाओं की दरकिनार कर उनकी जान को भी संकट में डाल देता है। इस 'लालच' का बटवारा नीचे से लेकर ऊपर तक होता है।

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कानपुर से पीलीभीत जा रही रोडवेज बस में फर्रुखाबाद से विस्फोटक सामग्री लादी गई थी। गनीमत रही कि पुलिस ने उस बस को बरेली में पकड़ कर माल जब्त कर लिया। यह कोई नई बात नहीं थी। इसी तरह सा माल अधिकांश रोडवेज बसों में लादा जाता है। इसमें टैक्स चोरी का माल अधिक होता है। क्योंकि रोडवेज बसों की चेकिग आमतौर पर नहीं होती है। ऐसे में कोई भी आतंकी नेटवर्क भी बड़े आराम से पार्सल के जरिए कुछ भी लदवा सकता है। इससे यात्रियों की जान संकट में पड़ सकती है। अवैध माल के परिचालन के लिए परिचालक और चालकों को बुकिग राशि के अलावा ऊपर से भी रकम मिलती है। इस रकम का बंटवारा ऊपर तक होता है। यही कारण है कि अधिकारी जिस रूट पर माल की अधिक सप्लाई होती है, उन बसों में ड्यूटी अपने चहेते और कमाऊ लोगों की लगाते हैं। 25 किलो से अधिक माल की होती बुकिग

रोडवेज बसों में नियमानुसार यात्री अपने साथ 25 किलो लगेज ही ले जा सकते हैं। उससे अधिक लगेज ले जाने पर बुकिग करानी होती है। बस यहीं से खेल शुरू हो जाता है। अधिकतर लोग छोटे पार्सल बस से भेज देते हैं और संबंधित व्यक्ति को बस का नंबर और परिचालक का मोबाइल नंबर नोट करवा दिया जाता है। यह पार्सल 25 किलो से कम होने के कारण बुक भी नहीं करने पड़ते। माल भेजने वाले व्यक्ति को भी माल के साथ जाना नहीं पड़ता है। इसके लिए परिचालक को रुपये दिए जाते हैं। अधिक वजन का माल होने पर आधे की बुकिग कर दी जाती है, आधा माल बिना बुकिग के जाता है। इसके रुपये चालक-परिचालक आपस में बाट लेते हैं। इन मार्गो पर सर्वाधिक लगेज ढोती हैं बसें

लगेज से होने वाली कमाई के चक्कर में दिल्ली, आगरा, लखनऊ, बरेली, कानपुर मार्गों पर चालक-परिचालकों की बोली लगती है। उन्हें इन मार्गों पर ड्यूटी करने के बदले जिम्मेदार अधिकारियों को अलग से भुगतान करना होता है। महानगरों से आने-जाने वाली बसें लगेज से खचाखच भरी दिखाई देती हैं। बुधवार शाम को दिल्ली व आगरा जाने वाली बसों में लगेज की लोडिग चल रही थी। एक यात्री 25 किलो वजन अपने साथ ले जा सकता है। यदि गेहूं, चावल अथवा अन्य खाद्य सामग्री है तो 35 किलो तक ले जाने देते हैं। लगेज बुक करते समय कई चीजों का ध्यान रखना होता है। कपड़े की गांठ है तो उसका वजन कम होगा, लेकिन जगह अधिक घेरेगी। कंपनी के कर्मचारियों को दिशानिर्देश दिए गए हैं कि वे अधिक लगेज होने पर कई बसों में लोड कराएं। यात्रियों को असुविधा न हो इसका पूरा ध्यान रखा जाता है।

- राजेश चतुर्वेदी, रोडवेज के सहायक यातायात निरीक्षक


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