फर्जी शिकायती पत्र पर जांच में हो गई असली कार्रवाई
जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद जिस खाद्यान्न खरीद घोटाले में विजिलेंस जांच के बाद चार अधिकारियो
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : जिस खाद्यान्न खरीद घोटाले में विजिलेंस जांच के बाद चार अधिकारियों पर कार्रवाई हुई, उसके शिकायतकर्ता को अपनी शिकायत की खबर ही नहीं है। हालांकि शिकायत की जांच में तथ्य सही पाए गए। बताते हैं कि ठेकेदार से सुविधा शुल्क न मिलने की खुन्नस में एक चलता पुर्जा लिपिक ने एक पुराने ठेकेदार के नाम से उसकी जानकारी के बिना ही एक फर्जी शिकायत भेजी गई थी।
कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में खाद्यान्न आपूर्ति के लिए आमंत्रित निविदाओं में घोटाले के मामले में जिस शिकायतीपत्र पर हुई विजिलेंस जांच के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश कर दिए, उसके शिकायतकर्ता नूर इंटरप्राइजेज के कर्ताधर्ता कमालगंज के ग्राम जरारी निवासी मोहम्मद इमरान को ही अपनी शिकायत की जानकारी तक नहीं है। वह बताते हैं कि इस संबंध में वह लिखित बयान विजिलेंस इंस्पेक्टर सुरेंद्र प्रसाद सिंह को भी दे चुके हैं। वास्तव में कमालगंज में तैनात एक विभागीय लिपिक ने खुन्नस के चलते फर्जी शिकायती पत्र भेज दिया था। बताते हैं कि एक विभागीय अधिकारी की भी शिकायत में मिलीभगत थी। मामला वर्ष 2015-16 का था, लेकिन विजिलेंस जांच शुरू होते-होते वर्ष 2018 आ गया। विजिलेंस ने तत्कालीन अधिकारियों में एडीएम मनोज सिघल, महाप्रबंधक जिला उद्योग केंद्र जय सिंह, बीएसए योगराज सिंह, डायट रजलामई प्राचार्य भगवत पटेल और सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी नीलेश के खिलाफ के जांच के बाद बीएसए को छोड़ कर अन्य सभी को दोषी माना। इनमें से कई अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी योगराज सिंह बताते हैं कि वह खरीद कमेटी में शामिल नहीं थे। मामले में मुख्य मंत्री ने कार्रवाई के आदेश कर दिए हैं। हालांकि अभी जनपद स्तर पर आदेश प्राप्त नहीं हुए हैं।