Move to Jagran APP

अब जेलों में बंदी रक्षकों को मिलेंगे बॉडी-वार्न कैमरे

जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद जेलों में बंदियों के व्यवहार में अवसाद या घबराहट जैसे लक्षणों

By JagranEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2020 06:31 PM (IST)Updated: Sat, 26 Sep 2020 06:31 PM (IST)
अब जेलों में बंदी रक्षकों को मिलेंगे बॉडी-वार्न कैमरे
अब जेलों में बंदी रक्षकों को मिलेंगे बॉडी-वार्न कैमरे

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : जेलों में बंदियों के व्यवहार में अवसाद या घबराहट जैसे लक्षणों की पहचान के लिए अब शासन की ओर से बंदीरक्षकों को बॉडी-वार्न कैमरे उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है। वरिष्ठ जेल अधीक्षक का मानना है कि इससे जहां बंदियों के व्यवहार के अध्ययन में मदद मिलेगी वहीं जेलों में हिसा या खुदकुशी जैसी घटनाओं को कम करने में भी मदद मिलेगी।

loksabha election banner

जेलों में क्षमता से अधिक बंद कैदियों की संख्या, स्टाफ की कमी और काम की एकरूपता के चलते बंदियों और बंदी रक्षकों, दोनों के लिए सामान्य मानसिक स्थिति बनाए रखना कठिन होता है। इसके चलते आए दिन बवाल, मारपीट और खुदकुशी जैसी घटनाएं होती रहती हैं। शासन ने इस स्थिति को गंभीरता से लिया है। इसके लिए अब बंदी रक्षकों को बॉडी-वार्न कैमरे उपलब्ध कराए जाएंगे। सेंट्रल जेल के वरिष्ठ अधीक्षक एसएमएच रिजवी का मानना है कि बॉडी-वार्न कैमरों की रिकॉर्डिंग के आधार पर बंदी रक्षकों के बंदियों के प्रति व्यवहार और भ्रष्टाचार जैसी शिकायतों पर नजर रखी जा सकेगी। इससे जहां जेल की प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार होगा, वहीं इन कैमरों की रिकॉर्डिंग के विश्लेषण के आधार पर बंदियों के आचरण और व्यवहार के अध्ययन में भी मदद मिलेगी। असामान्य व्यवहार, घबराहट या अवसाद जैसी स्थिति को भांप कर उनको समुचित इलाज उपलब्ध कराया जा सकेगा। वरिष्ठ अधीक्षक ने कहा कि शासन का मानना है कि जेल वास्तव में एक सुधार ग्रह है। यहां पर बंदी को रखने का उद्देश्य उसका उत्पीड़न या उसे यातना देना नहीं है। उद्देश्य यह है बंदी जब रिहा होकर समाज में जाए तो वहां उसका आचरण एक जिम्मेदार नागरिक की तरह हो। उन्होंने बताया कि आदेश प्राप्त हो गया है, शीघ्र ही बॉडीवार्न कैमरों की खेप प्राप्त होने की संभावना है। क्या है बॉडी-वॉर्न कैमरा

बॉडी वॉर्न कैमरा वर्दी पर कंधे या सीने के पास लगाया जाता है। इसमें आसपास की घटनाओं की ऑडियो-विजुअल रिकॉर्डिंग होती रहती है। खास बात यह है कि इस कैमरे का डाटा लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। बॉडी-वार्न कैमरे पहनने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे सिपाही

शासन की ओर से जनपद पुलिस को छह बाडी-वार्न कैमरे उपलब्ध कराए गए थे। वर्तमान में यह कैमरे फतेहगढ़, फर्रुखाबाद, मऊदरवाजा, कमालगंज व जहानगंज थानों की एंटी-रोमियो टीमों को उपलब्ध कराए गए थे। हालांकि आवंटन के कई माह बीत जाने के बावजूद इन कैमरों का पुलिस कर्मियों ने अभी तक इस्तेमाल शुरू नहीं किया है और न ही अभी तक किसी अधिकारी ने इन कैमरों की रिकॉर्डिंग मांगने की जरूरत समझी है। बताते हैं कि पुलिस कर्मी आपस की अनौपचारिक वार्तालाप के अलावा अन्य कतिपय कारणों से इन कैमरों के उपयोग से कतरा रहे हैं। हालांकि आए दिन वसूली और मनमानी की शिकायतों के मद्देनजर बॉडी-वार्न कैमरे ट्रैफिक सब-इंस्पेक्टर व जनपद सीमा पर वाहन चेकिग करने वाले पुलिस कर्मियों को उपलब्ध कराए जाने की कई बार मांग हो चुकी है। बॉडी-वार्न कैमरों के उपयोग के बारे में जानकारी की जाएगी। संबंधित थानों से इन कैमरों की रिकॉर्डिंग तलब की जाएगी। कैमरों का उपयोग न करने पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

डॉ. अनिल मिश्रा, पुलिस अधीक्षक


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.