विजय मशाल को सैन्य और प्रशासन अधिकारियों ने दी सलामी
जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में ऐतिहासिक विजय की स्वर्ण जयंती के
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में ऐतिहासिक विजय की स्वर्ण जयंती के अवसर पर शहीदों के गांव-गांव जाकर वहां की मिट्टी एकत्रित करने को निकली सेना की स्वर्णिम विजय मशाल के सम्मान में शनिवार को यहां राजपूत रेजिमेंटल सेंटर के करिअप्पा परेड ग्राउंड पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। स्टेशन कमांडर और जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक ने मशाल को सलामी दी। इस अवसर पर एनसीसी के छात्रों ने भारत-पाक युद्ध से संबंधित लघु नाटिका प्रस्तुत की। सैन्य बैंड ने शौर्य गीतों की धुनों पर समां बांधा। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक दिल्ली से रवाना हुई स्वर्णिम विजय मशाल शुक्रवार शाम को यहां पहुंच गई थी। स्वागत कार्यक्रम के बाद रात को इस मशाल को राजपूत रेजीमेंटल सेंटर के क्वार्टर-गार्ड में स्थापित किया गया। शनिवार सुबह दस बजे आरआरसी के करियप्पा परेड ग्राउंड पर आयोजित भव्य कार्यक्रम के दौरान मशाल को सम्मान पूर्वक लाकर ग्राउंड पर बने मंच पर स्थापित किया गया। स्टेशन कमांडर व आरआरसी कमांडेंट ब्रिगेडियर इंद्रमोहन सिंह परमार ने मशाल को सलामी दी तो दर्शक दीर्घा में मौजूद लोगों ने खड़े होकर व वर्दी में मौजूद जवानों ने सैल्यूट किया। कार्यक्रम में मौजूद जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह और पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार मीणा ने भी मशाल को सलामी दी। इस अवसर पर एनसीसी के छात्र-छात्राओं ने भारत पाक युद्ध के समय के हालात और भारत की ऐतिहासिक जीत का नाट्य प्रस्तुतिकरण किया। इस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का रोल कर रही छात्रा के अभिनय को काफी सराहा गया। विजय दिवस के संबंध में आयोजित चित्रकाला प्रतियोगिता में विजयी छात्र व छात्राओं को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर सैन्य अधिकारियों व उनके स्वजन के अलावा भारत पाक युद्ध में शामिल रहे लगभग 40 पूर्व सैनिक भी शामिल हुए। कार्यक्रम के बाद स्वर्णिम विजय मशाल को परेड ग्राउंड से भाव भीनी विदाई गई। यहां से मशाल अमर शहीद महावीर चक्र विजेता लांसनायक ²गपाल सिंह के जनपद शाहजहांपुर के गांव नोगवां स्थित पैतृक गांव के लिए रवाना हुई। सायंकाल मशाल को लाकर फिर क्वार्टर गार्ड में स्थापित किया गया। यहां से यह स्वर्णिम मशाल रविवार सुबह लखनऊ के बख्शी का तालाब के लिए रवाना होगी।