आक्सीजन की राह ताकते-ताकते निकल गया था दम
जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद भले ही सरकार कोरोना की दूसरी लहर में आक्सीजन की कमी से म
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : भले ही सरकार कोरोना की दूसरी लहर में आक्सीजन की कमी से मौत न होने की बात कह रही हो, लेकिन जिले में अधिकांश लोग ऐसे हैं, जो कि आक्सीजन न मिलने के कारण काल के गाल में समा गए। जिले में कोरोना से मौतों का सरकारी आंकड़ा तो 194 ही है, लेकिन हकीकत में यह संख्या चार गुना से अधिक है। कोरोना पीड़ित अपने स्वजन की दम फूलती देख लोगों ने आक्सीजन के लिए न जाने कितने जतन किए। आक्सीजन गैस एजेंसी पर रात-रात पर लोग लाइन में खड़े रहे। लोगों ने ब्लैक में आक्सीजन सिलिडर खरीदकर घर पर रख लिए।
कोरोना की दूसरी लहर में शहर के मोहल्ला कोठा पार्चा निवासी 71 वर्षीय सराफ व्यापारी विनोद चंद्र मिश्रा भी चपेट में आ गए थे। रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर उन्हें होम आइसोलेशन कराया गया। विनोद के पुत्र अनुराग मिश्रा ने बताया कि पिता की रिपोर्ट कोरोना पाजिटिव आने पर उन्होंने पिता को घर पर रखा। इस दौरान आक्सीजन की कमी होने पर उन्हें परेशान होना पड़ा। जैसे-तैसे एक सिलिडर की व्यवस्था की वह भी समाप्त हो गया। इसके बाद आक्सीजन सिलिडर नहीं मिला और पिता की मौत हो गई। ऐसा एक नहीं शहर में ऐसे कई मामले हैं।
स्टाक कर लेने पर हुई आक्सीजन की समस्या
लोहिया अस्पताल के सीएमएस डा. राजकुमार गुप्ता ने बताया कि जब लोग कोरोना संक्रमण की जद में आए तो लोगों के फेफड़े में इंफैक्शन हो गया। इससे साधारण आक्सीजन की इंट्री कम होती है। लंग्स के काम करने बंद होने पर सांस फूलने लगती है। इसलिए मरीजों को आक्सीजन दी जाती है। उन्होंने बताया कि नर्सिंग होम, घरों पर आक्सीजन का स्टाक कर लेने पर आक्सीजन की कमी हुई, लेकिन आक्सीजन की कमी से मौतें नहीं हुई, बल्कि संक्रमण से लोगों ने दम तोड़ा।
ऊंचे दामों पर खरीदनी पड़ी थी आक्सीजन
संवाद सहयोगी, कायमगंज : जिस प्रकार राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष के आरोपों में आक्सीजन संकट से मौतों व राज्य सरकारों की रिपोर्ट में आक्सीजन की कमी से मौते न होना बहस का मुद्दा बना हो। उसी प्रकार मरीजों के स्वजन जरूर कहते हैं कि आक्सीजन की कमी का संकट झेलना पड़ा। कई बार ऊंचे दाम पर आक्सीजन खरीद कर मरीज को लगाई गई। चिकित्सा विभाग के अनुसार कायमगंज में आक्सीजन संकट से मौत का एक भी मामला नहीं है।
कायमगंज सीएचसी में 26 अप्रैल को बीस बेड का एल-2 अस्पताल शुरू हुआ था। जो जून के पहले सप्ताह तक चला। इस अवधि में कायमगंज के ग्राम चिलौली निवासी भैषज्य कुमार पाठक व उनकी पत्नी ऊषा पाठक कोराना संक्रमित हो गई थीं। ऊषा पाठक को कायमगंज के एल-2 अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उनकी 6 मई को मौत हो गई थी। भैषज्य कुमार पाठक को कमालगंज के एल-2 अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उनकी 7 मई को वहां मौत हो गई थी। पाठक दंपती के पुत्र संजय पाठक के मुताबिक कायमगंज अस्पताल में तो मां को आक्सीजन सिलिडर की जगह बिजली से चलने वाला कंसंट्रेटर लगाया था, जो बिजली होने पर ही चलता था। वहीं कमालगंज के एल-2 अस्पताल में उन्हें पिता के लिए आक्सीजन गैस खरीद कर लगवानी पड़ी। सभी मरीजों को आक्सीजन किल्लत का सामना करना पड़ा। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो कायमगंज के एल-2 में अस्पताल खुलने की 45 दिन की अवधि में 146 मरीज भर्ती हुए, जिसमें 30 लोगों की मौत हो गई। जिसमें एक भी मामला ऐसा नहीं बताया गया, जिसमें आक्सीजन संकट से मौत हुई हो। कायमगंज सीएचसी के चिकित्सा अधीक्षक डा. शिवप्रकाश जो एल-2 अस्पताल के प्रभारी थे, ने बताया कि उनके यहां किसी भी जरूरत वाले मरीज को आक्सीजन की न कमी रही न किसी मरीज की मौत आक्सीजन की कमी से हुई। सभी बीस बेडों पर आक्सीजन सिलिडर या कंसंट्रेटर उपलब्ध था। जिन मरीजों की मौत हुई है, वह रोग की अन्य जटिलताओं के कारण हुई हैं।