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बर्ड फ्लू के खौफ से गिरा मुर्गों का भाव, व्यवसायी परेशान

जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद बर्ड फ्लू के डर से मुर्गों का भाव गिर गया है। इससे पोल्ट्री फार्म

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 07:18 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 07:18 PM (IST)
बर्ड फ्लू के खौफ से गिरा मुर्गों का भाव, व्यवसायी परेशान
बर्ड फ्लू के खौफ से गिरा मुर्गों का भाव, व्यवसायी परेशान

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : बर्ड फ्लू के डर से मुर्गों का भाव गिर गया है। इससे पोल्ट्री फार्म संचालकों को घाटा हो रहा है। हालांकि अभी तक जिले में बर्ड फ्लू का कोई मामला सामने नहीं आया है। पिछले दिनों कमालगंज में दो कौओं की मौत हुई थी। जिसकी वजह ठंड मानी गई है। मुर्गों का भाव गिरने से व्यवसायी खासे चितित हैं।

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पिछले दिनों कुछ राज्यों में बर्ड फ्लू से पक्षियों की मौत होने की खबरें आई थीं। इसका असर पोल्ट्री फार्म संचालकों पर पड़ रहा है। जिले में छोटे-बड़े 50 से अधिक पोल्ट्री फार्म हैं। शहर से सटे गांव पपियापुर में दो पोल्ट्री फार्म हैं। देहात क्षेत्र में देसी मुर्गा खाना पसंद किया जाता है, जबकि शहर में सफेद मुर्गा की मांग अधिक रहती है। बर्ड फ्लू की दस्तक के बाद से इस व्यवसाय से जुड़े लोगों की चिता बढ़ी है। वह घाटे में भी बिक्री करने को तैयार हैं। शमसाबाद क्षेत्र के गांव अलेपुर निवासी फैजान ने बताया कि उनके पास 3500 मुर्गे थे। एक मुर्गा पालने में करीब 75 रुपये खर्च आता है, लेकिन इन दिनों मुर्गा मात्र 68 रुपये किलो बिक रहा है। पहले यही मुर्गा थोक में 90 से 95 रुपये बिकता था। फुटकर में 200 रुपये तक भाव मिल जाता था। इससे घाटा हो रहा है। उन्होंने बताया कि अभी पशु विभाग की ओर से किसी ने उनसे संपर्क नहीं किया है। बीमारी से बचने के कोई उपाय भी नहीं बताए गए हैं। वह अपने अनुभव का उपयोग कर व्यवसाय चला रहे हैं।

हरियाणा, इलाहाबाद व गोरखपुर से आते हैं चूजे

पोल्ट्री फार्म के लिए चूजे हरियाणा, इलाहाबाद व गोरखपुर से आते हैं। घाटे के चलते अब देसी मुर्गों का ही पालन कर रहे हैं। इन दिनों देसी मुर्गे पर मात्र चार से पांच रुपये तक ही बचत हो रही है। पहले 10 से 12 रुपये तक बचते थे। पशुपालन विभाग की टीम आई थी। उन्होंने बर्ड फ्लू से बचने के उपाय बताए थे। भाव गिरने से वह लोग चितित हैं।

- आनंद कुमार भारती, पोल्ट्री फार्म संचालक पपियापुर। जिले में बर्ड फ्लू का एक भी केस नहीं

जनपद में बर्ड फ्लू का एक भी मामला सामने नहीं आया है। जिले में विदेशी पक्षी नहीं आते हैं। जिन स्थानों पर विदेशी पक्षी आते हैं, वहां बर्ड फ्लू का खतरा रहता है। जनपद में 200 से लेकर 500-600 तक की क्षमता वाली पोल्ट्री फार्म हैं। इनके पंजीकरण का कोई प्रावधान नहीं है। महानगरों में जहां मुर्गी से अंडा लेने का काम होता है, उन्हीं बड़े पोल्ट्री फार्मों का पंजीकरण किया जाता है।

डॉ. राजकिशोर सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी


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