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कागजी 'जटाओं' में उलझी रही विकास की गंगा

विजय प्रताप सिंह फर्रुखाबाद विगत वर्ष जब लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजी थी तो क्षेत्र में विकास क

By JagranEdited By: Published: Sat, 30 May 2020 10:53 PM (IST)Updated: Sun, 31 May 2020 06:03 AM (IST)
कागजी 'जटाओं' में उलझी रही विकास की गंगा
कागजी 'जटाओं' में उलझी रही विकास की गंगा

विजय प्रताप सिंह, फर्रुखाबाद : विगत वर्ष जब लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजी थी तो क्षेत्र में विकास की गंगा बहाने के वादे तैर रहे थे, लेकिन चुनाव के बाद यह विकास की गंगा कागजी 'जटाओं' में उलझकर रह गई। सरकार से स्वीकृत होने के बाद गंगा पर बनने वाले मड़ैया घाट और अर्जुनपुर के पुल की फाइलें वित्त विभाग से लौटकर नहीं आईं। बजट के लिए कागजी घोड़े दौड़ रहे थे तो कोरोना ने भी अड़ंगा डाल दिया है। अब आगे क्या होता है, इस पर संशय है। जब तक यह पुल नहीं बन जाता तब तक कमालगंज के लोगों को हरदोई जाने के लिए 60 किलोमीटर अतिरिक्त दौड़ लगानी होगी और अमृतपुर और शमसाबाद क्षेत्र के लोग अभी भी गंगा और रामगंगा में आने वाली बाढ़ में अपना सब कुछ गंवाने का दंश झेलेंगे। हालांकि केंद्र में भाजपा सरकार रिपीट होने के कारण पहले से चल रही रेल विद्युतीकरण परियोजना का काम रफ्तार पकड़े रहा। तय समय के एक साल बिलंब ही सही, लेकिन काम पूरा कर लिया गया। कोरोना काल में दो ट्रेन बिजली के इंजन से चलकर आईं। इससे लंबी दूरी की कई ट्रेनों का आना-जाना शुरू हुआ तो यहां के व्यवसाइयों और आम आदमी की पहुंच में कई महानगर सीधे आ जाएंगे।

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पर्यटन से रोजगार की बड़ी संभावना

जिले में पर्यटन से रोजगार की बड़ी संभावना है, लेकिन नई सरकार के एक साल में इस ओर कोई बड़ा प्रयास नहीं किया गया। जबकि फर्रुखाबाद जिले का इतिहास ताम्रयुग तक में मिलता है। यहां कांपिल्य जो आज कंपिल के नाम से जाना जाता है, कभी पांचाल राज्य की राजधानी हुआ करता था। द्रोपदी का जन्म यहीं होना माना जाता है और यहीं पर उनका स्वयंवर भी हुआ था। यहीं जैन तीर्थाकर कपिल देव का जन्म भी होने के मान्यता है। जैन धर्मावलंबी बड़ी तादात में आते हैं, लेकिन दुश्वारियों का सामना करते हैं। संकिसा में भगवान बुद्ध के स्वर्गावतरण की भी मान्यता है। प्रतिवर्ष हजारों विदेशी श्रद्धालु यहां बौद्ध स्तूप के दर्शन को आते हैं। तीन बार बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा भी आ चुके हैं। यदि यहां की हवाई पट्टी विकसित हो जाए और इन तीर्थस्थलों को जाने वाली सड़कों को संवार दिया जाए तो पर्यटन से रोजगार की राह खुल सकती है। बाढ़ के दौरान तबाही मचाने वाली गंगा पर अंकुश लगाने के लिए कोई बड़ी परियोजना नहीं आई है। हालांकि पिछले वर्ष गंगा में कुछ स्थानों पर बंधा और ठोकरें बनाई गईं थी, लेकिन यह नाकाफी था। नमामि गंगे योजना के तहत पांचाल घाट का सुंदरीकरण जरूर कराया गया।

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जाम से मुक्ति दिलाने के प्रयास

इस वर्ष जिले में दो रेलवे ओवरब्रिज जरूर स्वीकृत हुए। इसमें एक भोलेपुर में तो दूसरा शुकुरुल्लाहपुर रेलवे लाइन पर है। इन पुलों का निर्माण शुरू हो गया है। हालांकि कार्यदायी संस्था को अतिक्रमण की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इस कारण इसकी निर्माण गति धीमी है। कोरोना को लेकर जिला प्रशासन अपनी व्यस्तता से समय निकालकर अतिक्रमण हटवा रहा है। रविवार को अतिक्रमण अभियान चलाया जाएगा। शुकुरुल्लाहपुर का निर्माण तेजी पर था, लेकिन कोरोना को लेकर हुए लॉकडाउन ने उसके निर्माण की रफ्तार रोक दी और मजदूर अपने घरों को चले गए। अब फिर से निर्माण शुरू कराया जा रहा है।


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