शिक्षा के मंदिर में अभी तक बाढ़ पीड़ितों का डेरा
संवाद सूत्र, शमसाबाद : परिषदीय स्कूलों में नौनिहालों का भविष्य बनाने के लिए करोड़ों का बजट खर्च
संवाद सूत्र, शमसाबाद : परिषदीय स्कूलों में नौनिहालों का भविष्य बनाने के लिए करोड़ों का बजट खर्च किया जा रहा है। वहां इन दिनों लोग चैन की नींद ले रहे हैं। मजे की बात यह है कि अफसर सब जानने के बाद भी अंजान बने हैं। वहीं 'मास्साब' कभी-कभी स्कूल आकर मौका-मुआयना जरूर कर लेते हैं, लेकिन वहां ठहरे बाढ़ पीड़ितों को परिसर को खाली करने की याद तक नहीं दिलाते हैं। स्थानीय लोगों ने कई बार अफसरों की चौखट पर पहुंच बच्चों की पढ़ाई की दुहाई देते हुए गुहार भी लगाई, लेकिन स्थितियां जस की तस ही रहीं।
क्षेत्र के गांव समैचीपुर चितार स्थित प्राथमिक विद्यालय में पांच कमरे बने हुए हैं। पिछले दिनों आई बाढ़ से हुए कटान के चलते प्रशासन ने कुछ ग्रामीणों को विद्यालय के कमरों में रोक दिया था। करीब दो माह पूर्व बाढ़ की पानी घटा चुका है, लेकिन लोगों ने अभी तक अपना डेरा स्कूल में ही जमा रखा है। हाल यह है कि अध्यापक भी स्कूल कम आते हैं। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह चौपट हो चुकी है। शनिवार को शिक्षामित्र शैलेंद्र 11 बजे विद्यालय पहुंचे। बच्चे एक भी नहीं थे। विद्यालय में 125 छात्र पंजीकृत हैं। शिक्षामित्र ने बताया कि प्रधानाध्यापक मो. गोहर मसूद तथा शिक्षामित्र रोहित यहां तैनात हैं। कमरों में बाढ़ पीड़ितों का सामान भरा हुआ है।
प्रधान ताराबानो के पति यासीन ने बताया विद्यालय की कक्षा में बाढ़ पीड़ित लोग रह रहे हैं, उनके पास रहने के लिए जगह नहीं है। तहसील प्रशासन से गांव के पास पड़ी ग्राम समाज की जगह को आवंटन करने के बात कही गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
उधर, बीईओ बेगीश गोयल ने बताया कि बाढ़ पीड़ितों को तहसील प्रशासन ने रुकवाया था। एसडीएम कायमगंज से विद्यालय भवन खाली कराने को लिखा जाएगा। जो शिक्षक स्कूल नहीं जा रहे हैं उन्हें नोटिस दी जाएगी।