राजस्व रिकार्ड में दर्ज अधिकांश तालाबों पर अतिक्रमण
जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद जल संचयन के लिए तालाब सबसे बड़ा माध्यम होते हैं। इसी वजह से हर
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : जल संचयन के लिए तालाब सबसे बड़ा माध्यम होते हैं। इसी वजह से हर गांव में तालाब बनाए जाते थे। शहर व कस्बों में भी तालाब हुआ करते थे। शहर के तो अधिकांश तालाब विलुप्त हो चुके हैं, जिन पर कंकरीट के जंगल बन गए। गांव के तालाबों की स्थिति भी सुधर नहीं रही। वह सिकुड़कर अस्तित्व खोते जा रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार इस मुद्दे पर गंभीर नहीं हैं। जल संचयन के नाम पर कुछ तालाबों की खुदाई कर हर बार रिकार्ड दुरुस्त कर लिया जाता है।
तहसील सदर क्षेत्र में 405 गांव हैं। इनमें 65 गांव ऐसे हैं, जिनमें एक भी तालाब नहीं है। कुल 334.405 एकड़ भूमि पर तालाब होने का रिकार्ड तहसील सदर के अभिलेखों में मौजूद है, लेकिन तालाबों पर कहां-कहां कब्जे हुए, उनकी मौके पर आराजी कैसे कम हो गई, इसका कोई विवरण नहीं है। हकीकत यह है कि तालाबों पर कब्जे हटाने के लिए कई बार न्यायालय एवं सरकार की ओर से आदेश हुए, लेकिन खानापूरी कर सिर्फ रिकार्ड दुरुस्त किया गया। यही वजह है कि तालाब अस्तित्व खोते जा रहे हैं। इस मुद्दे पर अभी भी न चेते तो समस्या और भी गंभीर होगी। एक-एक गांव में दस-दस तालाब हैं, लेकिन उनकी स्थिति अच्छी नहीं है। आबादी बढ़ने के साथ ही लोग तालाबों में भराव डालकर मकान बना लेते हैं। राजनैतिक कारणों और बेवजह विरोध होने की वजह से एक-दूसरे की शिकायत नहीं की जाती है, जिसके चलते कब्जे होते जा रहे हैं। शहर के ठंडी सड़क पर राजस्व रिकार्ड में 1359 की फसली में डिग्गी ताल के नाम से तालाब दर्ज था। बाद में रिकार्ड में हेराफेरी हुई और उसी भूमि पर भराव डालकर प्लाटिग कर दी गई। आज घनी आबादी बस गई है। आवास-विकास कॉलोनी अल्हानगर बढ़पुर का तालाब भी विलुप्त हो गया। मोहल्ला सातनपुर के तालाब पर अतिक्रमण को लेकर कुछ साल पहले कई शिकायतें हुईं, लेकिन अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया तो शिकायतकर्ता भी शांत हो गए। तहसीलदार सदर राजू कुमार ने बताया कि तालाबों का सुंदरीकरण ग्राम पंचायतें करती हैं। यदि कोई पंचायत तालाब की नाप कराने की मांग करता है तो वह कराने को तैयार हैं।