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चुनाव चिह्नों के फेर में चकरघिन्नी बनेंगे 'चौधरी चाचा'

जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद पंचायत चुनाव में इस बार चार-चार मतपत्र और लगभग 164 चुनाव चिह्नों

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Mar 2021 09:15 PM (IST)Updated: Tue, 30 Mar 2021 09:15 PM (IST)
चुनाव चिह्नों के फेर में चकरघिन्नी बनेंगे 'चौधरी चाचा'
चुनाव चिह्नों के फेर में चकरघिन्नी बनेंगे 'चौधरी चाचा'

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : पंचायत चुनाव में इस बार चार-चार मतपत्र और लगभग 164 चुनाव चिह्नों के चक्कर में 'चौधरी चाचा' का चकरघिन्नी बनना तय है। आम तौर पर दो चरणों में होना वाले त्रिस्तरीय चुनाव में इस बार ग्राम प्रधान से लेकर जिलापंचायत सदस्य तक का मतदान एक साथ हो रहा है। इसके चलते वोटर को मतदान कक्ष में पहुंचने पर चारों पदों के मतपत्र एक साथ मिलेंगे। ऐसे में प्रत्याशियों के चुनाव चिह्न एक साथ याद रख पाना टेढ़ी खीर होगा। विशेषकर बुजुर्गों के लिए तो काफी दिक्कत होना तय है। राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जिला पंचायत सदस्य के 53, ग्राम प्रधान पद के 57, ग्राम पंचायत सदस्य के 18 और क्षेत्र पंचायत सदस्य के लिए 36 चुनाव चिह्न जारी किए गए हैं।

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पंचायत चुनाव में सदस्य ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत के अलावा ग्राम प्रधान सहित कुल चार पदों के लिए प्रतिनिधियों का चुनाव किया जाना है। पूर्व में हुए पंचायत चुनाव में ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत सदस्य के लिए चुनाव एक चरण में व सदस्य क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के लिए मतदान दूसरे चरण में होता रहा है। इस बार राज्य निर्वाचन आयोग ने दो-दो बार मतदान से बचने के लिए एक ही बार में चारों पदों के लिए मतदान कराने का निर्णय लिया है। पंचायत चुनाव में मतपत्र पर प्रत्याशियों के नाम नहीं होते हैं। मतदाता को केवल चुनाव चिह्न के आधार पर ही मोहर लगानी होती है। आयोग की ओर से जारी चुनाव चिह्नों की सूची में जिला पंचायत सदस्य के 53, ग्राम प्रधान पद के 57, ग्राम पंचायत सदस्य के 18 और क्षेत्र पंचायत सदस्य के लिए 36 चिह्न निर्धारित किए गए हैं। अधिकतम प्रत्याशी न भी हुए तो भी हर पद पर कम से कम चार-पांच प्रत्याशियों का होना तो तय है। सर्वाधिक होड़ ग्राम प्रधान व जिला पंचायत सदस्य पद के लिए रहने वाली है। इसलिए इन पदों के लिए उम्मीदवारों की संख्या और अधिक रह सकती है। ऐसे में इतने प्रत्याशियों के चुनाव चिह्न याद रखना और पहचानना आम ग्रामीण के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकती है। विशेष रूप से कम पढ़े लिखे और वृद्ध जनों के लिए यह मुश्किल और भी अधिक होगी। हालांकि उप जिला निर्वाचन अधिकारी व अपर जिलाधिकारी विवेक श्रीवास्तव बताते हैं कि सभी पदों के लिए मतपत्रों का रंग अलग-अलग है। इस लिए लोग यह याद रख सकते हैं कि किस रंग के बैलेट पेपर पर किस चुनाव चिह्न पर मोहर लगानी है। आम तौर पर मतदाता पोलिग बूथ पर जाने से पहले ही मन बना चुका होता है कि उसे किस प्रत्याशी को वोट देना है।


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