98 अभिभावकों को नहीं मिला पैसा, कैसे खरीदें पाठ्यपुस्तक व यूनिफार्म
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जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : निश्शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले 98 बच्चों के अभिभावकों को पाठ्यपुस्तक व यूनीफार्म की धनराशि बजट न आने के चलते नहीं मिल सकी है। विभाग की ओर से इनके लिए बजट की कोई मांग भी नहीं की गई।
आरटीई के तहत निजी विद्यालयों में 25 फीसद प्रवेश गरीब तबके के बच्चों के लिए जाते हैं। इसके तहत अभिभावकों के खातों में हर वर्ष पांच हजार की धनराशि बच्चों की पाठ्यपुस्तक व यूनीफार्म खरीदने के लिए मिलती है। वर्ष 2018-19 से वर्ष 2020-21 तक 120 बच्चों के प्रवेश आरटीई के तहत हुए थे। शासन ने सभी बच्चों की फीस शुल्क प्रतिपूर्ति के 4,85,100 रुपये तो भेज दिए, लेकिन पाठ्य पुस्तक व यूनीफार्म खरीद के लिए वर्ष 2020-21 में प्रवेश को पात्र पाए गए 30 बच्चों के लिए 1.50 लाख रुपये भिजवाए। 22 बच्चों के अभिभावकों के खातों में बीते दिन पांच-पांच हजार रुपये के हिसाब से 1.10 लाख रुपये भेज दिए गए। बचे हुए अभिभावकों के लिए बजट न आने से वह लोग कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। पटल प्रभारी विशाल गगन ने बताया कि वर्ष 2020-21 में आरटीई के तहत 30 बच्चे प्रवेश के लिए चिन्हित किए गए थे, जिनके लिए 1.50 लाख का बजट मिला था। कोरोना के चलते आठ बच्चों ने प्रवेश नहीं लिया, जिससे 22 बच्चों के अभिभावकों के खातों में पांच-पांच हजार रुपये भेजकर शेष धनराशि वापस कर दी गई। बीएसए लालजी यादव ने बताया कि छूटे हुए अभिभावकों को धनराशि दिलाए जाने के लिए बजट की मांग करेंगे।