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40 फीसद खाते 'एनपीए', डीएम ने की वसूली की तैयारी

जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद बेरोजगार युवाओं को उद्यम स्थापित करने के लिए बैंकों की ओर स

By JagranEdited By: Published: Thu, 07 Jan 2021 05:38 PM (IST)Updated: Thu, 07 Jan 2021 05:38 PM (IST)
40 फीसद खाते 'एनपीए', डीएम ने की वसूली की तैयारी
40 फीसद खाते 'एनपीए', डीएम ने की वसूली की तैयारी

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : बेरोजगार युवाओं को उद्यम स्थापित करने के लिए बैंकों की ओर से मुद्रा योजना के तहत ऋण देने वाले 40 फीसदी लाभार्थी पैसा डकारकर बैठ गए। जनपद में योजना के तहत अभी तक ऋण लेने वाले कुल 11358 में से 4744 के खाते बैंकों की एनपीए बुक का हिस्सा हो चुके हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा के 80 फीसद खाते एनपीए हो गए हैं। बैंकों का करोड़ों रुपये डूबने की कगार पर पहुंच गया है। जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह ने अब इस डूब रही रकम की रिकवरी के लिए वसूली के निर्देश दिए हैं।

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वर्ष 2015 में शासन की ओर से दुकानदारों, व्यापारियों, विक्रेताओं और सेवा क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को तेज करने के लिए मुद्रा ऋण योजना शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य बेरोजगार युवाओं और पहले से काम कर रहे छोटे उद्यमियों को मदद करना था। योजना के अंतर्गत तीन प्रकार के ऋण दिए गए। शिशु ऋण के तहत 50 हजार रुपये, किशोर लोन के तहत पांच लाख रुपये तक और तरुण ऋण के तहत पांच से दस लाख के बीच के ऋण की व्यवस्था की गई। योजना के तहत कामर्शियल वाहन की खरीद, सर्विस सेंटर की स्थापना, खाद्य एवं प्रसंस्करण गतिविधियां, कृषि संबंधी गतिविधियां आदि अनुमन्य थीं।

शुरुआती दौर में बैंकों ने मुद्रा योजना के तहत गारंटी का कोई प्राविधान न होने के कारण ऋण देने में आनाकानी की। हालांकि शासन और प्रशासन के दबाव में बैंकों ने ऋण देना शुरू किए। अभी तक जनपद में 11358 लोगों को मुद्रा योजना के तहत ऋण उपलब्ध कराए जा चुके हैं। हालांकि अब तक इनमें से 4744 उद्यमी डिफाल्टर की श्रेणी में आ गए हैं। इन खातों में दी गई धनराशि को बैंकों ने 'नॉन पर्फार्मिंग एसेट्स' की श्रेणी में डाल दिया है। अकेले स्टेट बैंक का ही 6.78 करोड़ और आर्यावर्त ग्रामीण बैंक का 25.45 करोड़ डूबने की कगार पर है। बैंक ऑफ बड़ौदा के तो 80 फीसद खाते एनपीए हो गए हैं। हाल में हुई समीक्षा बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने इस स्थिति पर कड़ी आपत्ति जताई है और अब बैंकों से एनपीए खातों का तहसीलवार विवरण तलब किया है, जिससे राजस्व अधिकारियों के माध्यम से बैंकों की डूबी हुई धनराशि की वसूली का प्रयास किया जा सके।

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बैंक-कुल ऋण-एनपीए

एसबीआइ-565-121

सीबीआइ-112-60

एजीबी-8425-3978

बीओबी-95-76

आंध्रा-50-02

यूनियन-214-45

सिडीकेट-191-101

इंडियन-15-02

बीओआइ-1210-245

पीएनबी-180-41

यूको-55-10

इलाहाबाद-112-23

ओबीसी-23-07

केनरा-18-03

आइडीबीआइ-23-08

कुल-11358-4744


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