आखिर कहां गया 56 हजार लीटर डीजल
परिवहन निगम के अयोध्या डिपो में डीजल घोटाले की आशंका ने अधिकारियों की नींद उड़ा दी है। वजह मई 2020 से लगभग चार सौ लीटर डीजल प्रति टैंकर बिना खपत के कम होना है। डिपो में प्रतिमाह लगभग 20 टैंकर डीजल की आपूर्ति इंडियन ऑयल करता है। डीजल कम होने की वजह अभी तक परिवहन निगम के अधिकारी खोज नहीं पाए हैं।
अयोध्या: परिवहन निगम के अयोध्या डिपो में डीजल घोटाले की आशंका ने अधिकारियों की नींद उड़ा दी है। वजह मई 2020 से लगभग चार सौ लीटर डीजल प्रति टैंकर बिना खपत के कम होना है। डिपो में प्रतिमाह लगभग 20 टैंकर डीजल की आपूर्ति इंडियन ऑयल करता है। डीजल कम होने की वजह अभी तक परिवहन निगम के अधिकारी खोज नहीं पाए हैं। मई से नवंबर तक सात माह में तकरीबन 56 हजार लीटर डीजल कम हो गया, जिसके खपत का हिसाब किताब रजिस्टर से मिलान करने पर नहीं मिलता। डिपो की वरिष्ठ केंद्र प्रभारी गीता सिंह के इंडियन ऑयल कारपोरेशन के सेल्स मैनेजर को लिखे पत्र से फाइलों में कैद यह जानकारी सामने आई। सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक महेश कुमार इसके लिए इंडियन ऑयल को जिम्मेदार बताते हैं। उनके अनुसार इंडियन ऑयल को पत्र भेजा गया है।
इस मामले को दबाने का भरसक प्रयास किया गया। फिलहाल अधिकारियों ने प्रति माह गायब हो रहे डीजल का ठीकरा इंडियन ऑयल के सिर पत्राचार कर मढ़ने का तरीका खोजा है। एआरएम के अनुसार डिपो में लगा पंप इंडियन ऑयल का है। इसलिए उसे स्थिति साफ करनी चाहिए। पंप संख्या 'बी' की तकनीकी जांच कराने की अपेक्षा डिपो के अधिकारियों ने की है। डिपो में स्थापित डीजल पंप संख्या बी में एक टैंकर से 12 हजार लीटर की आपूर्ति होती है। वाहनों में डीजल निर्गत करने के उपरांत क्लोजिग की जाती है तो टैंक में 400 से 450 लीटर डीजल का हिसाब नहीं मिलता। डिपो के अनुसार पिछले सात माह में करीब 140 टैंकर डीजल की आपूर्ति की जा चुकी है। प्रति टैंकर 400 लीटर डीजल की हानि को ही आधार माना जाए तो पिछले सात माह में 20 टैंकर प्रतिमाह के हिसाब से लगभग 56 हजार लीटर डीजल गायब हो चुका है, जिसकी कीमत लगभग 37 लाख रुपये है। डिपो में प्रति लीटर डीजल की कीमत 66.20 रुपये है। मई और जून माह में लॉकडाउन के दौरान डीजल की सर्वाधिक खपत हुई थी। उस दौरान अयोध्या डिपो के अलावा प्रदेश के तमाम डिपो की बसें यहीं से डीजल लेती थीं।